भिंड।भिंड जिले की जिन दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उन सीटों मेहगांव सीट भी शामिल है. जो राजनीतिक लिहाज से चंबल अंचल की अहम सीट मानी जाती हैं. इस सीट पर पूर्व विधायक ओपीएस भदौरिया के इस्तीफे के चलते उपचुनाव हो रहा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े ओपीएस भदौरिया ने बीजेपी के राकेश शुक्ला को हराया. लेकिन ओपीएस भदौरिया बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें शिवराज सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया.
मेहगांव विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी ने ओपीएस भदौरिया को प्रत्याशी बनाया है. तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक हेमंत कटारे पर दांव लगाया है. हालांकि हेमंत कटारे पर बाहरी प्रत्याशी होने की बात भी कही जा रही है. लेकिन अटेर से सटी होने के चलते मेहगांव विधानसभा सीट पर हेमंत का प्रभाव माना जाता है. लिहाजा यहां मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद जताई जा रही है.
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मेहगांव में अब तक 10 चुनाव हुए हैं
बात अगर भिंड जिले के सियासी समीकरणों की जाए तो यहां इस सीट के राजनीतिक समीकरणों में हमेशा अस्थिरता रही है. मेहगांव में अब तक हुए 10 चुनावों में तीन-तीन बार बीजेपी और कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. तो तीन बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी है. जबकि एक बार बसपा ने जीत का स्वाद चखा है. इस बार भी बसपा यहां के सियासी समकरणों में प्रभावी भूमिका निभाती नजर आ रही है.
जातिगत समीकरण सबसे महत्वपूर्ण
चंबल अंचल की सीट होने की वजह से मेंहगांव में जातिगत समीकरण सबसे अहम माने जाते हैं. मेहगांव में ब्राह्मण और क्षत्रिय सबसे ज्यादा हैं. लिहाजा दोनों पार्टियों ने इन्हीं वर्गों से आने वाले उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. तो बीजेपी ने क्षत्रिय प्रत्याशी पर भरोसा जताया है. जबकि बसपा से अनिल नरवरिया मैदान में है. इसके अलावा गुर्जर और अनुसूचित जाति के वोटर भी अहम माने जाते हैं.जो चुनाव में प्रभावी भूमिका निभाते हैं.
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मेहगांव के मतदाता
वही बात अगर मेहगांव विधानसभा सीट के मतदाताओं की जाए तो यहां कुल 2 लाख 60 हजार 104 मतदाता है. जिनमें 1 लाख, 43, हजार 995 पुरुष मतदाता शामिल हैं. तो 1 लाख 16 हजार 109 महिला मतदाता शामिल हैं. जो उपचुनाव में अपने नए विधायक का चयन करेंगे.