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मेहगांव विधानसभाः बड़ा फैक्टर है जातिगत समीकरण, बीजेपी के ओपीएस के सामने कांग्रेस के हेमंत कटारे

भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में यह सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है. यहां बीजेपी के उम्मीदवार ओपीएस भदौरिया का मुकाबला कांग्रेस के हेमंत कटारे से है. देखिए मेहगांव विधानसभा सीट के सियासी समीकरणों पर यह खास रिपोर्ट....

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मेहगांव की महाभारत

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Published : Oct 16, 2020, 7:47 PM IST

भिंड।भिंड जिले की जिन दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उन सीटों मेहगांव सीट भी शामिल है. जो राजनीतिक लिहाज से चंबल अंचल की अहम सीट मानी जाती हैं. इस सीट पर पूर्व विधायक ओपीएस भदौरिया के इस्तीफे के चलते उपचुनाव हो रहा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े ओपीएस भदौरिया ने बीजेपी के राकेश शुक्ला को हराया. लेकिन ओपीएस भदौरिया बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें शिवराज सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया.

मेहगांव विधानसभा सीट

मेहगांव विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी ने ओपीएस भदौरिया को प्रत्याशी बनाया है. तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक हेमंत कटारे पर दांव लगाया है. हालांकि हेमंत कटारे पर बाहरी प्रत्याशी होने की बात भी कही जा रही है. लेकिन अटेर से सटी होने के चलते मेहगांव विधानसभा सीट पर हेमंत का प्रभाव माना जाता है. लिहाजा यहां मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद जताई जा रही है.

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मेहगांव में अब तक 10 चुनाव हुए हैं

बात अगर भिंड जिले के सियासी समीकरणों की जाए तो यहां इस सीट के राजनीतिक समीकरणों में हमेशा अस्थिरता रही है. मेहगांव में अब तक हुए 10 चुनावों में तीन-तीन बार बीजेपी और कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. तो तीन बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी है. जबकि एक बार बसपा ने जीत का स्वाद चखा है. इस बार भी बसपा यहां के सियासी समकरणों में प्रभावी भूमिका निभाती नजर आ रही है.

मेहगांव के जातिगत समीकरण

जातिगत समीकरण सबसे महत्वपूर्ण

चंबल अंचल की सीट होने की वजह से मेंहगांव में जातिगत समीकरण सबसे अहम माने जाते हैं. मेहगांव में ब्राह्मण और क्षत्रिय सबसे ज्यादा हैं. लिहाजा दोनों पार्टियों ने इन्हीं वर्गों से आने वाले उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. तो बीजेपी ने क्षत्रिय प्रत्याशी पर भरोसा जताया है. जबकि बसपा से अनिल नरवरिया मैदान में है. इसके अलावा गुर्जर और अनुसूचित जाति के वोटर भी अहम माने जाते हैं.जो चुनाव में प्रभावी भूमिका निभाते हैं.

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मेहगांव के मतदाता

वही बात अगर मेहगांव विधानसभा सीट के मतदाताओं की जाए तो यहां कुल 2 लाख 60 हजार 104 मतदाता है. जिनमें 1 लाख, 43, हजार 995 पुरुष मतदाता शामिल हैं. तो 1 लाख 16 हजार 109 महिला मतदाता शामिल हैं. जो उपचुनाव में अपने नए विधायक का चयन करेंगे.

ओपीएस भदौरिया, बीजेपी प्रत्याशी

ओपीएस भदौरिया ने कांग्रेस पर लगाया उपेक्षा का आरोप

शिवराज सरकार में राज्यमंत्री और बीजेपी प्रत्याशी ओपीएस भदौरिया कहते है तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने चंबल अंचल के साथ धोखा किया है. जबकि कांग्रेस ने यहां के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी धोखा किया. इसलिए अब कांग्रेस को यहां की जनता ही जवाब देगी. जबकि ओपीएस भदौरिया कांग्रेस प्रत्याशी को बाहरी प्रत्याशी भी बता रहे हैं.

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हेमंत कटारे को जीत का भरोसा

वही कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे को भी अपनी जीत का भरोसा है. हेमंत कहते है कि बीजेपी ने जनता के साथ धोखा करते हुए एक चुनी हुई सरकार को गिरा दिया. यहां के ओपीएस भदौरिया ने जनता के वोट को बेच दिया. बेंगलौर में विधायकों की मंडी लगाकर उन्हें खरीदा गया और सरकार गिरा दी. इसलिए जनता तो अब तीन नवंबर का इंतजार कर रही है.

राजनीतिक जानकारों का राय

मेहगांव के सियासी समीकरणों राजनीतिक विश्लेषक अनिल शर्मा कहते है कि मेहगांव में जातिगत समीकरण सबसे अहम होते हैं. यहां बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. लेकिन बसपा मेहगांव में एक बड़ा रोल अदा कर सकती है. क्योंकि जब-जब भी क्षेत्र में अनुसूचित जाति और अन्य समाज का वोट बैंक एक्कठा होता है. तब-तब क्षेत्र के सियासी समकरण बदल जाते हैं.

मेहगांव दांव पर बीजेपी-कांग्रेस की प्रतिष्ठा

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2018 में कांग्रेस से चुनाव लड़े ओपीएस भदौरिया ने बीजेपी के राकेश शुक्ला को हराकर लंबे समय बाद मेहगांव में कांग्रेस की वापसी कराई थी. लेकिन भदौरिया के इस्तीफे के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है. दूसरी तरफ मेहगांव विधानसभा सीट के कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे अटेर विधानसभा सीट से आते हैं. जिससे उन्हे बाहरी प्रत्याशी होने की बात भी कही जा रही है. लेकिन हेमंत पूर्व नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के पुत्र है. लिहाजा भिंड जिले में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है.

ओपीएस भदौरिया ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते हैं. लिहाजा भदौरिया को जीत दिलाने की जिम्मेदारी सिंधिया के कंधों पर ही. सिंधिया यहां लगातार ओपीएस भदौरिया के प्रचार में सक्रिय भी है. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे को जीत दिलाने की जिम्मेदारी कमलनाथ के जिम्मे है. हालांकि उपचुनाव में मौका किसे मिलेगा इसका पता तो 10 नवंबर को ही चलेगा.

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