भिंड। सिंध की तबाही पिछले 3 दिन से जारी है. यहां सेना और NDRF की मदद से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को लगातार निकला जा रहा है. सिंध के किनारे बसे गांव तो पूरी तरह तबाह हो गए हैं. प्रभावित ग्रामीणों की मुश्किलें दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं. प्रशासन द्वारा राहत शिविर तो लगाए गए हैं, लेकिन उन तक लोग पहुंच नहीं रहे. ऐसे में समाज सेवी संस्थाएं और समाजसेवी लोग आगे आकर इन लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं.
ग्वालियर-चंबल में इस बार चंबल नदी से ज्यादा तबाही सिंध के सैलाब ने मचाई है. अंचल का भिंड जिला भी इससे अछूता नहीं रहा है. इसी बाढ़ के चलते जिले की रौन तहसील अंतर्गत कछार गांव पूरी तरह डूब चुका है. हालात यह हैं कि लोग कछार से तो निकल आए, लेकिन कछपुरा गांव के ऊंचे टीलो पर आसरा लेना पड़ा है. अपनी गृहस्ती, घर मवेशी सब कुछ छोड़कर आए इन लोगों के पास अब खाने तक कि व्यवस्था नहीं है.
राहत शिविर दूर, टीलों पर लिया आसरा
मौके पर मौजूद रहे ग्रामीणों से बात करने पर उन्होंने बताया कि अधिकतर लोग कछार से हैं. पानी बढ़ने के चलते कुछ लोग समय रहते बुधवार रात में ही निकल आए तो बचे हुए लोगों को प्रशासन और NDRF की टीम ने रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है., लोगों ने बताया कि उनके लिए प्रशासन की ओर से व्यवस्थाएं तो की जा रही हैं, लेकिन राहत शिविर दूर होने के चलते अधिकतर लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
भोजन व्यवस्था के लिए आगे आए समाजसेवी
इन हालातों में महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के लिए भोजन व्यवस्था बड़ी परेशानी बनती जा रही है. हालांकि अजीता, इंदुर्खी, खेरा श्यामपुरा समेत कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की तरह ही कछपुरा में भी पावरमेक फॉउंडेशन के कर्मचारियों द्वारा बाढ़ पीड़ित लोगों को भोजन के पैकेट्स वितरण किए जा रहे हैं. वही कुछ अन्य समाजसेवी लोग भी आगे आकर फल और भोजन के पैकेट्स इन पीड़ितों को मुहैया करा रहे हैं. हालांकि प्रशासन की ओर से भी भोजन के पैकेट्स वितरित कराए गए हैं.