भिंड। दशकों बाद भी सड़क और स्कूल की समस्या को लेकर शेरपुरा पंचायत के महूरी का पुरा के लोग परेशान हैं. यहां सड़क के नाम पर सिर्फ कच्चा रास्ता है और स्कूल के नाम पर अतिक्रमण. ये समस्याएं हल करने के वादे आज तक पूरे नहीं हो सके हैं. इसी बात से परेशान गांव वालों ने पंचायत चुनाव बहिष्कार का एलान कर दिया है. समस्याओं पर ग्रामीणों के बीच ETV भारत ने लगाई गांव की चौपाल.
8 जुलाई को होगा मतदान: किसी भी चुनाव में वोटर अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव क्षेत्र के विकास की तर्ज पर करता है. आज भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां विकास सरकार के दावों से कोसों दूर है. मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा हो चुकी है. तृतीय चरण में 8 जुलाई को जनपद के गोहद में पंचायत चुनाव के लिए मतदान होगा. लेकिन इस मतदान में गोहद की शेरपुरा पंचायत का 800 मतदातों एक गांव महुरी का पुरा वोटिंग नहीं करेगा. यहां के मतदाताओं ने होने चुनाव का बहिष्कार का एलान कर दिया है.
आजादी से आज तक मिला सिर्फ सड़क का आश्वासन: गांव वाले के इतने बड़े फैसले के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए ETV भारत संवाददाता ने महूरी का पुरा गांव पहुँचकर ग्रामीणों से बातचीत की. गांव में बनाए गए मतदान केंद्र के हालात देखे, न तो रंग रोगन और न ही साफ सफाई नजर आई. यहीं परिसर में गांव की चौपाल लगाई, तो ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं सामने रखीं. ग्रामीणों का कहना है कि आज तक इस गांव में मूलभूत सुविधाओं पर किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया. आजादी से अब तक गांव में सड़क तक नहीं बनी. बरसात में गांव के चारों और दलदल की स्थिति बन जाती है और यहां से निकलने में लोगों को काफी परेशानी होती है. लेकिन नेता, मंत्री, सांसद, विधायक आते हैं और रोड बनाने का आश्वासन देकर चले जाते हैं. गांव के हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं, इसलिए गांव वालों ने चुनाव बहिष्कार का फैसला लिया है. जब तक यहां रोड नहीं बनेगी, तब तक गांव के लोग वोट नहीं देंगे.
बरसात में कीचड़ भरे रास्ते से होकर जाती है अर्थी: ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के समय लोगों को दलदल से होकर गुजरना पड़ता है. कोई गर्भवती महिला यदि डिलीवरी के लिए जाए तो ट्रैक्टर पर बैठाकर उसे ले जाना पड़ता है, क्योंकि जननी एक्सप्रेस तक गांव में नहीं आ पाती है. ऐसा नहीं है कि शासन के पास पैसा नहीं है, शासन द्वारा खेतों तक रोड बनाई जा रही है. ग्रामीणों ने बताया कि एंडोरी पंचायत का हमारे गांव तक चार किलोमीटर का रास्ता है, लेकिन 2 किलोमीटर रोड बनाकर छोड़ दिया है, गांव के लिए सड़क नहीं डाली गई. आसपास के दूसरे ऐसे गांव जिनकी आबादी महज 150 लोगों की है, वहां भी रोड बनी हुई है, लेकिन 1300 आबादी वाला महूरी का पुरा में रोड का काम नहीं कराया जा रहा है. गांव वालों का सवाल है कि शासन यह बताए, क्यों उन्हें पक्की सड़क की सौगात नहीं दी जा रही. ग्रामीणों ने बताया कि श्मशान तक जाने के लिए रोड की व्यवस्था नहीं है, बरसात के समय यदि किसी की मृत्यु हो जाए तो अंतिम संस्कार के लिए भी लोगों को कीचड़ भरे दलदल से होकर गुजरना पड़ता है.