भिंड। परीक्षा में नकल पद्धति सालों से हावी है और प्रशासन माफिया के आगे नकल रहित परीक्षाएं सम्पन्न कराने में शुरू से ही असफल रहा है. लेकिन भिंड में नकल के अलावा भी एक बड़ा घोटाला शिक्षा के क्षेत्र में सामने आ रहा है. जिले में नर्सिंग कोर्सेस के नाम पर कई छात्रों का भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है, या यूं कहें कि भविष्य के लिए ऐसा नर्सिंग स्टाफ तैयार किया जा रहा जो किसी की जान से खिलवाड़ कर सकता है.
नर्सिंग में 80 फीसदी से ज्यादा छात्र बाहरी प्रदेशों से: भिंड के नर्सिंग कॉलेज संचालकों द्वारा मोटी फीस वसूल कर रेगुलर कोर्स के नाम पर बाहरी छात्रों को बिना पढ़ाए परीक्षाओं में पास करने की धांधली की जा रही है. जिले में कुल 17 नर्सिंग कॉलेज हैं जिनमें 807 छात्र रजिस्टर है. बड़ी बात यह है कि जिले के इन कॉलेज में भिंड और मध्यप्रदेश के छात्रों की संख्या 20 फीसदी से भी कम है. जबकि 80 फीसदी से ज्यादा छात्र बाहरी प्रदेशों के हैं. छात्रों को लेकर मिले आंकड़ों के मुताबिक, भिंड के आरएलडी नर्सिंग कॉलेज, पातीराम शिवहरे नर्सिंग कॉलेज, आयुष्मान नर्सिंग कॉलेज, एनकेएस नर्सिंग कॉलेज, विवेकानंद नर्सिंग कॉलेज, रुस्तम सिंह नर्सिंग कॉलेज, गिरजादेवी नर्सिंग कॉलेज समेत जिले के करीब 17 नर्सिंग कॉलेज में 400 से ज्यादा रजिस्टर्ड छात्र बिहार के रहने वाले हैं, 150 छात्र उत्तरप्रदेश और 100 से ज्यादा छात्र राजस्थान के हैं. भोपाल, इंदौर जैसे महानगरों को छोड़कर प्रदेश के छोटे से जिले भिंड में पड़ाई कर रहे हैं.
प्रैक्टिकल और परीक्षाओं में आते हैं छात्र, होटल में रहकर देते हैं परीक्षा:बिहार से आए कई छात्रों ने बताया है कि वे लोग यहां सिर्फ तभी आते हैं जब कॉलेज द्वारा प्रैक्टिकल या परीक्षाओं के लिए उन्हें बुलाया जाता है. जीएनएम नर्सिंग प्रथम वर्ष की परीक्षा देने भिंड के जनता कॉलेज में बिहार से आए छात्रों ने बताया की वे भिंड में अलग अलग होटलों में ठहरे हैं जबकि कुछ हॉस्टल में. कई छात्र-छात्राएं तो एक साथ एक बस में बैठकर भिंड आए थे और फिर यहां से रवाना हो गए. इनकी तस्वीरें भी कैमरे में कैद हो गई हैं.
पेपर वाले दिन भिंड पहुंचे छात्र: एक छात्र पवन ने बताया की वह 28 मार्च को ही बिहार से भिंड आए थे उनके पास यहां जगह नहीं थी वे होटल में रह रहे थे, इग्ज़ैम देने आए लेकिन परीक्षा सेंटर से आज मोबाइल चोरी हो गया है चार दिन से यहां रुके हैं. खाना भी नहीं खाया है आगे क्या करें समझ नहीं आ रहा है. ऐसे में इन छात्रों के बयान इस बात को साबित करते हैं कि ज़िले में संचालित नर्सिंग कॉलेज उच्च शिक्षा और मेडिकल शिक्षा के नियमों को ताक पर रख कर शिक्षा के नाम पर धन उगाही कर रहे हैं, और बाहरी छात्रों को बिना पढ़ाए नर्स बना रहे हैं.