भिंड।एमपी में विधानसभा चुनाव तो साल के अंत में होंगे लेकिन उससे पहले ETV भारत आपको प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों की जानकारी और सियासी हालातों से अवगत करा रहा है. विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 21 भांडेर के बार में आज चर्चा विस्तार से करते हैं, ये क्षेत्र खनिज संपदा से संपन्न होने के साथ साथ दतिया ज़िले की तीन विधानसभाओं में से एक है. यहां की जनता का मिज़ाज थोड़ा अलग है वे हर 5 साल में अपना प्रतिनिधि तो चुनती है, लेकिन जब क्षेत्र में विकास दिखाई नहीं देता तो हर बार ही विधायक का चेहरा बदल जाता है. यही वजह है की विकास आज भी इस क्षेत्र से किसी दूर है और ये इस क्षेत्र की तस्वीर में साफ नजर भी आता है. इंडिया भले ही आज डिजिटल हो गया हो, लेकिन भांडेर आज भी पिछड़ेपन का शिकार नज़र आता है.
भांडेर विधानसभा क्षेत्र की खासियत:भांडेर क्षेत्र का नाम आते ही सबसे पहले जहां में प्रसिद्ध तीर्थ पंडोखर धाम का जिक्र आता है, यहां देश भर से श्रद्धालु पंडोखर धाम पहुंचते हैं. यहां के महंत गुरुचरण महाराज का दिव्य दरबार भी लगता है, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में व्यवसाय और आय दोनों की संभावनाएं लगातार बढ़ रही है. इसके साथ साथ मध्यप्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्र में 100 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित कराया जा रहा है, जिससे इस प्लांट से उत्पादित बिजली का उपयोग जिले में बिजली आपूर्ति के लिए होगा. क्षेत्र खनिज संपदा से संपन्न हैं, यहां पत्थर और रेत की खदाने हैं जो राजस्व और रोजगार के लिए कुछ हद तक सहायक हैं.
भांडेर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता:बात अगर भांडेर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में इस विधानसभा इस क्षेत्र में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 1 लाख 87 हजार 943 मतदाता हैं, जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,00,091 और महिला मतदाता 87,845 हैं. साथ ही ट्रांसज़ेंडर मतदाताओं की संख्या 7 हैं, जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में वोट करने का हक रखते हैं.
भांडेर विधानसभा क्षेत्र के सियासी हालात:मध्यप्रदेश का भांडेर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 21 वर्तमान में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है, यहां एससी वोटरों की संख्या 30 प्रतिशत से अधिक है, जो किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहते हैं. बात पोलिटिकल हालातों की करें तो भांडेर विधानसभा में बीते 20 वर्षों से बीजेपी का कब्जा बना हुआ है (कमलनाथ सरकार कार्यकाल छोड़कर). इस सीट के बड़ी ख़ासियत यह है कि अब तक हुए विधानसभा चुनावों में हर बार जनता ने विधायक का चेहरा बदला है, हालांकि 2003 में भाजपा से डॉ. कमलापत आर्य पहले ऐसे जनप्रतिनिधि बने जो इस सीट से दूसरी बार विधायक बने थे, पहली बार वे 1980 में विधायक बने थे. इसके बाद जब 2020 में हुए उपचुनाव में विधायक पद त्याग कर दोबारा चुनाव में खड़ी हुई रक्षा संतराम सिरोनिया को जानता ने फिर से मौका दिया.
हालांकि 2018 में तो बीजेपी ने रजनी प्रजापति को टिकट दिया था, ऐसे में 2023 के लिए रक्षा संतराम सिरोनिया के साथ रजनी प्रजापति भी टिकट दावेदारी में हैं, लेकिन दोनों ही दावेदार कांग्रेस के दावेदार प्रत्याशी बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक फूल सिंह बरैया के आगे फीके नजर आते हैं. बरैया भी भांडेर से 1998 में बसपा से विधायक रह चुके हैं, इस बार अगर कांग्रेस ने बरैया को टिकट दिया तो कांग्रेस के लिए यह सीट जीतना काफ़ी आसान हो सकता है क्योंकि समय के साथ फूल सिंह बरैया का बीजेपी के प्रति आक्रामक रूख और क्षेत्र में बढ़ती लोक प्रियता ने भांडेर में कांग्रेस को मजबूत बनाया है. ऐसे में इस बार बीजेपी के लिए यहाँ सही टिकट दावेदार चुनना और चुनाव जीतना आसान नहीं रहेगा, हालांकि इस क्षेत्र में जातिगत समीकरण सभी कयासों को बदलने पूरी तरह अपनी भूमिका निभाते हैं. ऐसे में चुनाव परिणाम किस पार्टी के हक में जाएंगे, इस पर अभी संशय है.