भिंड। मध्यप्रदेश में जनपद अध्यक्षों और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव आखिरी दौर में है. ग्वालियर चम्बल अंचल में नगरीय निकाय से लेकर पंचायत चुनाव तक बीजेपी के लिये दौर आसान नहीं रहा. खुद सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद भदौरिया (Co Operative Minister Dr. Arvind Bhadauria) मानते हैं कुछ कमियां रहीं हैं, जिनकी समीक्षा जरूर की जाएगी. भिंड प्रवास पर आये सहकारिता मंत्री ने ETV भारत से खास चर्चा की. आइये जानते हैं क्या कुछ कहा मंत्री ने...
सवाल- इस बार जब पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव हुए, कांग्रेस पहले से ज्यादा मजबूती से आगे आयी है, अब बीजेपी की क्या रणनीति रहेगी?
जवाब- कांग्रेस सिर्फ ख्वाबों में ही मजबूत हुई है. टोटल जब देखेंगे तो नगर पंचायत से लेकर, नगर पालिका, ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, नगर निगम और जिला पंचायत तक 80 से 85 फीसदी सीटें भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के परिश्रम की वजह से हम लोग जीत कर आये हैं. कांग्रेस ने कुछ ड्रामा करके नगर निगम सीटों को हासिल किया है. कई जगह हमे लॉस हुआ है लेकिन वहां भी हमारे पार्षदों की संख्या 80 प्रतिशत तक है. अपने कार्यकर्ताओं की मेहनत के चलते हमे अच्छी जीत हासिल हुई है.
सवाल- नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह (Leader of Opposition Dr. Govind Singh) का कहना है कि जो कांग्रेस नगर निगम में शून्य पर थी आज 5 महापौर कांग्रेस के बने है, 2 निगमों में गड़बड़ी कराने का आरोप लगाया है, कहां कमी रह गयी?
जवाब- ये पहली बार है जब कांग्रेस ईवीएम पर नहीं रोई है. हार स्वीकार करना आसान काम नहीं है. मैं आज फिर कह रहा हूं कि नगर निगम में हम थोड़ा महापौर में कम रहे हों. इसकी समीक्षा भी करेंगे बातचीत भी करेंगे. अगर हम टोटल वोट की बात करेंगे तो विधानसभा 2018 में भले ही हम संख्या बल में पीछे रहे हैं लेकिन वोट के मामले में 50 हजार से अधिक वोट थे. ठीक इस चुनाव में भी वोटों के अंक में बीजेपी 82 फीसदी और कांग्रेस 18 प्रतिशत पर है. आगामी चुनाव नजदीक हैं उसमें साफ हो जाएगा.जो कांग्रेस आत्म मुग्ध है उसे भी पता चल जाएगा कि जनता किसके साथ है. कांग्रेस किस मुंह से बात करती है. महाराष्ट्र में अपनी सरकार बचा नहीं पाए, मध्यप्रदेश में टिका नहीं पाए. ये टिकाऊ माल नहीं है. इसलिए उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी बंपर मतों से जीत कर आयी और कांग्रेस कितनी सीटें जीती केवल दो. इसलिए मुझे लगता है कि कांग्रेस को शर्मिंदा होने के लिए भी कुछ अलग से व्यवस्था करनी पड़ेगी.
सवाल- पूरे मध्यप्रदेश में चुनाव शांतिपूर्ण रहे भिंड जिले में भी शांतिपूर्ण निर्वाचन का ढिंढोरा पीता गया जबकि यह ऐसा जिला था जहां न सिर्फ री पोलिंग हुई बल्कि प्रत्याशियों पर भी जुर्माना लगाया गया. क्या सरकार के पास प्रत्याशियों से पोलिंग व्यय वसूलने का प्रावधान है?