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कौन है भिंड के पचेरा का 17 साल का राजू! Hangzhou Asian Games घुड़सवारी में इनसे है गोल्ड की आस

Equestrian at Asian Games: मध्यप्रदेश घुड़सवारी अकादमी के खिलाड़ी और किसान के बेटे राजू सिंह ने एशियन गेम्स में क्वालिफाई किया है. राजू की उम्र महज 17 साल है और वो पचेरा गांव का निवासी है. Hangzhou Asian Games में वो भारत के झंडे तले अपने खेल का उम्दा प्रदर्शन करने के लिए बेकरार हैं. साल 2022 में हांगजो एशियन गेम्स कोरोना के चलते टाल दिया गया था. यह चीन के झेजियांग प्रांत के हांगजो शहर में इस साल होगा.

bhind farmer son qualifies Hangzhou Asian Games
भिंड किसान के बेटे ने एशियन गेम्स का ट्रायल क्वालीफाई किया

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Published : Feb 23, 2023, 1:10 PM IST

Updated : Feb 23, 2023, 1:20 PM IST

भिंड। चंबल की माटी को वीरों की भूमि कहा जाता है. कभी दस्यु पीड़ित रही यह धरा आज अपनी पहचान देश सेवा से कर रही है. बीहड़ों से निकले बाघी अब इतिहास बन चुके हैं और नया चंबल स्पोर्ट्स हब की तरह विकसित हो रहा है. इसकी वजह यहां से खिलाड़ी ऊपर उठ रहे हैं. भिंड के ग्रामीण अंचल से निकल कर अब एक 17 साल का खिलाड़ी एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहा है. राजू भदौरिया एशियन गेम्स खेलने वाले मध्यप्रदेश अकादमी के पहले खिलाड़ी बन जाएंगे. उनका सिलेक्शन हांगजो एशियन गेम्स के लिए हुआ है.

एक किसान का बेटा बना घुड़सवार: जिस खेल पर कभी सेना का रसूख रहा करता था, वह घुड़सवारी का खेल अब मध्यप्रदेश के भिंड जिले में भी प्रसिद्ध हो गया है. मेहगांव तहसील के छोटे से गांव पचेरा के 17 साल का राजू भदौरिया अब इस खेल में रंग चुका है. राजू ने 6 साल पहले घुड़सवारी सीखने के लिए अपना पहला कदम उठाया था. कौन जानता था की एक किसान का बेटा इतनी छोटी सी उम्र में देश के सबसे कम उम्र के खिलाड़ियों में शुमार होगा जो विश्व पटल पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है.

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मामा ने कराया घुड़सवारी से परिचय:राजू भदौरिया के पिता सुजान सिंह और माता कुसमा देवी आज भी पचेरा गांव में रहते हैं. पिता सुजान सिंह ने बताया कि, राजू का बचपन गांव में अपने खेतों पर बीता है. 2016 में जब वह 11 साल का था तब उसके मामा लोकेंद्र सिंह उसे अपने साथ भोपाल अकाडमी ले गए. राजू के मामा पहले से ही घुड़सवारी के खिलाड़ी रहे हैं. मध्यप्रदेश घुड़सवारी अकादमी कोच से बात कर राजू के मामा ने उसे यहां ज्वाइन करवाया. इस दौरान मामा ने कोच से कहा कि, राजू को घुड़सवारी और घोड़ों की देखभाल से लेकर हर बारीकी जो इस खेल के लिए जरूरी थी इसके बारे में समझने को कहा.

मेहनत ने दिलाया एकलव्य अवार्ड:राजू के लिए घुड़सवारी नया था, लेकिन उसने चीजों को इस खेल को बहुत तेजी से सीखा. उसे ये समझ आ गया था की आम बच्चों से अलग उसका भविष्य यही है. पढ़ाई के साथ-साथ घुड़सवारी के लिए उसकी मेहनत ने उसे मध्यप्रदेश शिखर खेल अलंकरण वर्ष 2018 समारोह में एकलव्य अवार्ड से सम्मान भी दिलाया. ये अवार्ड उन्हें मध्यप्रदेश शासन की खेल और युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया द्वारा प्रदान किया गया था.

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एशियन गेम्स क्वालीफाई करने वाले 6वें खिलाड़ी:खेल के प्रति ईमानदारी और लगन का नतीजा है कि राजू ने नेशनल और इंटरनेशनल इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया. हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित हुई सीसी टू स्टार इवेंटिंग प्रतियोगिता जीत कर इस वर्ष चीन के हांग्जो में आयोजित होने वाले एशियन गेम्स के लिए क्वालीफाई करने वाले 6वें भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं. जो घुड़सवारी में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. पिता सुजान सिंह के अनुसार वर्तमान में राजू भदौरिया अपने कोच कप्तान भगीरथ सिंह के साथ मुंबई में आयोजित एक प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं. इसके कुछ दिनों बाद वे अब भिंड भी आयेंगे.

Last Updated : Feb 23, 2023, 1:20 PM IST

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