MP Chunav 2023:संजीव सिंह कुशवाह मध्यप्रदेश में 15वीं विधानसभा के उन दो सदस्यों में से थे जो बसपा से जीत कर आये थे, लेकिन करीब एक साल पहले अचानक बागी हुए और बीजेपी में पहुंच गए. तकनीकी बारीकियों के चलते दलबदल के बावजूद विधायकी भी बची रही, लेकिन जैसे ही 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए भिंड के बीजेपी प्रत्याशी का नाम घोषित हुआ तो कई चेहरे मुरझा गए. विधायक संजीव समेत उनके कई कार्यकर्ता थे, जो इस बात से आहत थे कि सिटिंग विधायक का नाम ही बीजेपी ने चुनाव से बाहर कर दिया. खुद को ठगा सा महसूस करते हुए विधायक संजीव सिंह ने भी बगावत कर दी, यहां तक कि वे निर्दलीय तक लड़ने को तैयार थे, लेकिन अचानक गुरुवार शाम उनकी घर वापसी हो गई. बीजेपी नहीं बल्कि एक बार फिर वे बसपा में शामिल होकर हाथी का टिकट ले ही आए.
बसपा से पहले विधायक चुने गये थे संजीव सिंह:ईटीवी भारत से खास बातचीत में संजीव सिंह ने बसपा से बीजेपी में शामिल होना और फिर बगावत करने के एक साल बाद इस तरीके का फैसला लेने के बारे में बताया. विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने कहा बीजेपी ने तो उन्हें 2013 में ही परिवार से बाहर कर दिया था, इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें सराहा और विधानसभा का टिकट दोनों ही दिये. लेकिन वे कम अंतर से चुनाव हारे, इसके बाद 5 सालों तक लगातार क्षेत्र में जनता के बीच मेहनत की, 2018 में एक बार फिर बसपा ने भरोसा किया उसका नतीजा भी मिला कि पहली बार भिंड विधानसभा में बहुजन समाजवादी पार्टी का विधायक चुना गया, वह भी बड़े अंतर के साथ.
वादा कर बीजेपी ने किया विश्वासघात:संजीव सिंह ने बताया कि विधायक बनने के बाद भी वे भिंड विधानसभा क्षेत्र की जनता के लिए लड़ते रहे चाहे कमलनाथ की सरकार रही या भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरी मेहनत भिंड की जनता के विकास के लिए की साल भर पहले जब नगरीय निकाय चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी ने इस क्षेत्र में अव्यवस्थाओं को देखते हुए उन्हें बुलाया था के वे भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करें और क्षेत्र में उनका नगरपालिका अध्यक्ष बनवाए विधायक ने बनाया उन्होंने शर्त रखी थी कि उनका एकमात्र उद्देश्य चुनाव लड़ना था जिस पर उन्हें भरोसा भी दिलाया गया था पार्टी में शामिल होने के साथ साथ उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट भी दिया जाएगा. विधायक संजीव सिंह का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की बात और विश्वास में आकर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की थी लेकिन उन लोगों ने अपना वादा पूरा न करते हुए विश्वासघात किया क्योंकि वे बहुजन समाजवादी पार्टी से चुने गए थे यदि उन्हें टिकट नहीं देना था तो फिर वादा भी नहीं चाहिए था.