भिंड।सरकारी नौकरी वह भी प्रशासनिक पद पाने के लिए लाखों युवा जी तोड़ मेहनत करते हैं और उन्में कुछ की ही मेहनत रंग भी लाती हैं, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए छतरपुर की पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपने प्रासानिक पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि चुनाव का टिकट भी हाथ से फिसल गया है, अब वे कांग्रेस के प्रचार में अपना पूरा समय दे रही हैं. कांग्रेस नेत्री इन दिनों चंबल अंचल में हैं, इस दौरान भिंड में उन्होंने ETV भारत संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव से खास बातचीत भी की.
सवाल:काफी जद्दोजहद रहती है छात्रों के लिए जब बात सरकारी नौकरी की आती है, आपको वह मौका भी मिला और प्रशासनिक पद भी, आप डिप्टी कलेक्टर के पद पर होने के बावजूद अचानक राजनीति में आ गईं इस्तीफा देकर!
जवाब:मेरा हमेशा से उद्देश्य संविधान की रक्षा करने का रहा है. मैंने शादी भी संविधान को साक्षी मान कर की थी. अगर संवैधानिक अधिकारों को हम नहीं प्राप्त कर सकते तो मुझे लगता है कि इसके लिए लड़ना ही पड़ेगा. इसीलिए ये रास्ता चुना कि नौकरी छोड़कर आगे जाना चाहिए, युवाओं को आगे आना चाहिए, क्योंकि अगर राजनीतिक मंशा अच्छी हो तो भारत देश में जो भी समस्याएं हैं, चाहे युवाओं की समस्याए हैं, चाहे महिलाओं की समस्याएं हैं, वो दूर हो सकती हैं.
सवाल: देखा जाये तो ये साफ था कि आपको चुनाव का टिकट मिलेगा और आप कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगी. आपको टिकट नहीं मिला, इस्तीफा काफी देरी से स्वीकृत हुआ, इसके लिए किसे दोषी मानती हैं?
जवाब: भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ही ये काम किया है. जब एक महीने तक मेरा इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ, तब समझ आया कि ये राजनैतिक मंशा से हो रहा है. जो भारतीय जनता पार्टी के हमारे मुख्यमंत्री हैं, जो उनके विधायक हैं और जो अधिकारी हैं उनके बिठाए हुए जो बीजेपी के एजेंट बनकर काम कर रहे हैं. इन सब ने मिलकर ये चाहा कि, किसी भी तरह एक अनुसूचित जाति की महिला को रोका जाए. एक पढ़ी लिखी महिला राजनीति में ना आ पाए, यही उनका उद्देश्य रहा है.
सवाल: अगर बीजेपी से चुनाव लड़ा होता तो क्या उम्मीद होती, इस्तीफा जल्दी मंज़ूर हो सकता था?
जवाब:बिलकुल, जिन अधिकारियों को बीजेपी से चुनाव लड़ना था. उनके इस्तीफे तो चंद घंटों में स्वीकार हुए हैं. जज का, टीचर का, डॉक्टर का, लगभग जो भी थे, चूंकि मैं कांग्रेस से चुनाव लड़ रही थी और उनका हारना बिलकुल तय था वहां से, इसीलिए इतने महीने संघर्ष करा कर उन्होंने रोका मुझे. न सिर्फ चुनाव लड़ने से रोका बल्कि, उनकी मंशा ही वही थी कि इसकी नौकरी भी चली जाए और ये चुनाव भी ना लड़ पाए. कुल मिलाकर एक महिला को पूरी तरह से परेशान करने का प्रताड़ित करने का, खत्म करने का या कहें बर्बाद करने की साजिश भारतीय जनता पार्टी ने रची है.