भिंड।कहते हैं बड़े से बड़ा आदमी भी अगर किसी से डरता है ,तो वह भगवान है. जैसे एक परीक्षार्थी अपनी परीक्षा से पहले अच्छे रिजल्ट की उम्मीद में भगवान का आशीर्वाद लेता है. ठीक उसी तरह चुनाव के समय राजनेता भी मंदिरों में ढोक लगाते नजर आते हैं. महाकाल दरबार से लेकर पीतांबरा माई पीठ तक मध्यप्रदेश के कुछ ऐसे मंदिर हैं. जहां ना सिर्फ स्थानीय नेता बल्कि सरकार में बैठे मंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक माथा टेकने आते हैं. खास कर चुनाव के समय विशेष पूजा अनुष्ठानों के लिए बुकिंग तक कराते हैं.
मंदिर में विराजमान हैं मां बगुलामुखी: राजनेताओं के लिये दिव्य स्थान के तौर पर सबसे ऊपर आता है मध्यप्रदेश का पीताम्बरा माई पीठ. प्रदेश के दतिया जिले में स्थित पीतांबरा माता का यह मंदिर देश के बड़े-बड़े राजनेताओं के साथ-साथ अभिनेताओं की साधना का केंद्र है. यहां विराजमान माँं बगुलमुखी को राजसत्ता के साथ ही शत्रु दमन और वैभव की देवी कहा जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं में एक बड़ा वर्ग राजनीति से जुड़े लोग हैं. जो सत्ता की चाहत में यहां माथा टेकते हैं.
इस वजह से माता को कहा जाता है राजसत्ता की देवी:यहां दरबार में मां बगुलामुखी माता सोने के सिंहासन पर विराजी हैं. सोने का सिंहासन यहां राजसुख और वैभव का प्रतीक है. ऐसे में जो नेता यहां माता के दर्शन और पूजा करते हैं, उसे राजसत्ता और धन वैभव का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही यहां माता की मूर्ति चतुर्भुजी है. उनकी एक भुजा में गदा दूसरी में पाश, तीसरी में वज्र और चौथी भुजा में राक्षस की जीभ पकड़ रखी है. जिसके चलते मान्यता है कि यहां अनुष्ठान कराने वालों के विरोधी शिथिल हो जाते हैं. वे कुछ बोल नहीं पाते और नहीं विरोध कर पाते हैं. ऐसे में माता से जीत का आशीर्वाद मिलता है.
नेहरू-इंदिरा, अटल जी ने भी लगायी थी मुसीबत में अर्जी: पीतांबरा माता मंदिर में दर्शन करने वालों में मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से भी राजनीतिक लोग पहुंचते हैं. कई तो कुछ समय के अंतराल से पहुंचते और अनुष्ठान कराते हैं. दतिया के पुराने लोगों का कहना है कि जब भी किसी नेता पर मुसीबत आती है. वह पीतांबरा माई के दरबार में अर्जी लगता है. 1960 में जब चीन ने भारत पर अक्रमण किया था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यहां माता से पुकार लगायी थी.
यहां 10 दिनों तक सिद्ध पंडितों, तांत्रिकों और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को यज्ञ का यजमान बनाकर विशेष यज्ञ अनुष्ठान किया था. इसके फलस्वरूप 11वें दिन पूर्ण आहुति के बाद चीन ने अपनी सेना को हमला रोक कर वापस बुला लिया था. 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी गुप्त रूप से पीतांबरा पीठ पर विशेष अनुष्ठान कराया गया था. 1971 में भी पाकिस्तान युद्ध हुआ तो तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भी गुप्त अनुष्ठान कराया था. वहीं कहा जाता है कि साल 2000 के कारगिल युद्ध के समय भी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई थी.
नेताओं से लेकर अभिनेताओं ने भी कराये जीत के लिए अनुष्ठान: पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, उमा भारती, कमलनाथ के साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मां पीतांबरा शक्ति बंगलामुखी की कृपा से राजनीति में नये मुकाम हासिल किए है.