भिंड।मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में अब 6 महीने का भी समय नहीं बचा है, इससे पहले सभी राजनैतिक पार्टियां भी बूथ स्तर पर चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं. एमपी में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 9 अटेर भिंड जिले की 5 विधानसभाओं में शामिल है, यह विधानसभा बीजेपी के वह चौकीदार जो बैंगलुरु में सिंधिया समर्थक विधायकों की रखवाली के लिए डटे रहे यानि प्रदेश के सहकारिता अरविंद भदौरिया का विधानसभा क्षेत्र है. वे यहां से 4 बार चुनाव लड़े और 2 बार जीते भी, लेकिन अटेर की जनता किसी को भी लगातार जीत का ताज नहीं पहनाती. जब चुनाव हुए फिर चाहे वह विधानसभा आम चुनाव हो या उपचुनाव इस क्षेत्र की पब्लिक ने हर बार नया विधायक चुना है.
फिलहाल 2023 के रण में भाजपा ने मंत्री अरविंद भदौरिया को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने हेमंत कटारे को अपना प्रत्याशी बनाया है.
अटेर विधानसभा क्षेत्र की खासियत:अटेर विधानसभा क्षेत्र कई मायनों में विशेष है, खासकर यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यह क्षेत्र चंबल नदी के किनारे बसा हुआ है, वह चंबल जिसमें दुर्लभ डॉल्फिन और कछुए पाए जाते हैं. यह क्षेत्र चंबल सेंचुरी के अन्तर्गत भी है साथ ही घड़ियाल सेंचुरी के अन्तर्ग भी, वहीं ऐतिहासिक धरोहर के रूप में रामायणकाल के देवगिरी पर्वत पर बना आलीशान अटेर दुर्ग इस क्षेत्र की पहचान में 4 चांद लगाता है. जल्द ही अटेर और यूपी के जैतपुर को जोड़ने चंबल नदी पर बन रहा पुल का निर्माण पूर्ण होगा तो आगरा दिल्ली की सीधी कनेक्टिविटी इस क्षेत्र के लिए होगी, साथ ही अटल प्रॉग्रेस वे भी भिंड जिले में इसी विधानसभा क्षेत्र से गुजरेगा.
अटेर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता:बात अगर अटेर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में इस क्षेत्र में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 2 लाख 32 हज़ार 189 मतदाता हैं, जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,27,436 और महिला मतदाता 1,04,751 हैं साथ ही 2 ट्रांसज़ेंडर मतदाता हैं, जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
Bhind Political Scenario:अटेर विधानसभा सीट कभी किसी दल की जागीर नहीं रही, यहां जनता ने कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी को मौका दिया. खुद सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया यहां से 4 बार चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें जीत का सेहरा अब तक सिर्फ 2 बार पहनने को मिला है. चुनाव में अक्सर यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होती है, इसी सीट पर 2 बार सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया का मुकाबला पूर्व नेता प्रतिपक्ष और दिवंगत कांग्रेस नेता सत्यदेव कटारे के साथ हुआ, जिसमें पहली बार चुनाव लड़ते ही जीत मिली लेकिन दूसरी बार कांग्रेस के सत्यदेव कटारे के आगे शिकस्त का सामना करना पड़ा, 2017 में कटारे के आकस्मिक निधन के बाद सीट खाली हुई तो इसी वर्ष उपचुनाव में पिता की सीट पर खड़े हुए हेमंत सत्यदेव कटारे ने अरविंद भदौरिया को हराया, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में हेमंत कटारे अपनी सीट बरकरार ना रखवाए जनता ने इस बार विधायकी अरविंद भदौरिया के हाथों में सौंप दी. लेकिन इन 5 वर्षों में सहकारिता मंत्री पर ब्राह्मण वर्ग को दबाने के आरोप लगते रहे हैं, जिसके चलते विरोध भी देख जा रहा है. ऐसे में यह सीट निकलना उनके लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि हेमंत कटारे जाती से ब्राह्मण हैं और इसी क्षेत्र से आते हैं उनके पिता की साख आज भी क्षेत्र के लोगों में बरकरार हैं. ऐसे में ब्राह्मण वोटर के साथ-साथ अन्य जाती वर्ग के पुराने लोग भी इनसे जुड़े हैं, वहीं ठाकुर समाज से आने वाले अरविंद भदौरिया मूलरूप से भिंड के ज्ञानपुरा गांव के रहने वाले लेकिन दूसरी बार विधायक बनाने के बाद जब मंत्री पद मिला तो इसके बाद अटेर क्षेत्र के कई ब्राह्मणों पर पुलिस केस हुए ऐसे में अब इस क्षेत्र के दोनों समाजों में एक मूक विरोधाभास नजर आता है. जिसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है.