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चुनावी समीक्षा: मतदान के दौरान विवादों में रहा भिंड, 2018 के मुकाबले गिरा वोटिंग प्रतिशत

पूरे प्रदेश के साथ ही भिंड में भी इस बार मतदान के लिए समय सीमा में बढ़ोतरी की गई थी. बावजूद इसके 2018 में हुए विधानसभा के आमचुनाव के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत में गिरावट दर्ज हुई है. जाने भिंड की मेहगांव विधानसभा सीट और गोहद विधानसभा सीट में वोटिंग के बाद क्या कहते हैं एक्पर्ट...

Mehgaon and Gohad Election review after voting
चुनावी समीक्षा

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Published : Nov 5, 2020, 4:22 PM IST

भिंड।मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर आखिरकार मंगलवार को उपचुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी हो गयी, जिनमें भिंड जिले की 2 विधानसभा मेहगांव और गोहद में भी वोटिंग कराई गई. दोनों ही विधानसभाओं में मतदाता भी सुबह से मतदान के लिए उत्सुक दिखे, चुनाव आयोग के निर्देश पर कोरोना के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस बार मतदान केंद्रों पर थर्मल स्क्रीनिंग, सेनेटाइजर जैसी विशेष व्यवस्थाएं की गई थी. साथ ही इस बार मतदान के लिए समय सीमा में भी बढ़ोतरी की गई थी. बावजूद इसके 2018 में हुए विधानसभा के आमचुनाव के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत में गिरावट दर्ज हुई है.

मेंहगाव और मेहगांव की चुनावी समीक्षा
वोटिंग परसेंट में 2 से 5 प्रतिशत की गिरावटमेहगांव विधानसभा क्षेत्र के 2,60,104 मतदाताओं को वोटिंग करनी थी, लेकिन उनमें से महज 61.18 फीसदी मतदाताओं ने ही वोटिंग की. जबकि साल 2018 में यह प्रतिशत 63.83 था. ऐसे में इस बार मेहगांव में 2.64 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है.

गोहद में भी 3 नवम्बर को हुई वोटिंग में 2,24,737 मतदाताओं को हिस्सा लेना था. लेकिन यहां सिर्फ 54.42 फीसदी मतदाताओं ने ही मतदान किया. साल 2018 में यह मतदान 59.33 प्रतिशत था. ऐसे में गोहद में भी करीब 4.91 फीसदी वोटिंग कम हुई है.

मेंहगाव और मेहगांव की चुनावी समीक्षा

उपचुनाव में मतदाताओं का रुझान
मध्यप्रदेश में एक साथ 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए जो राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों की देन मानी जाती रही है. भिंड जिले की दोनों विधानसभाओं पर प्रत्याशी भी सिंधिया समर्थक मेहगांव से ओपीएस भदौरिया और गोहद से रणवीर जाटव हैं, जिन्हें बीजेपी की सरकार बनवाने और सिंधिया के साथ पार्टी जॉइन करने के बदले तोहफे में बीजेपी से टिकट मिला था. लेकिन दोनों ही क्षेत्रों की जनता इस उपचुनाव से खुश नजर नहीं आई. जिसका असर मतदान के दिन देखा गया, क्योंकि पिछली बार हुए चुनाव से इस बार दोनों ही विधानसभाओं में वोटिंग प्रतिशत कम रहा.

मतदान
मेहगांव और गोहद सीट पर ग्रामीणों का रुझान

मेहगांव की जनता ने बीजेपी के समीकरणों को शुरुआत से ही बिगाड़ दिया था, जिसका एक बड़ा कारण बीजेपी की ओर से प्रत्याशी बने ओपीएस भदौरिया रहे हैं. कहने को उन्हें राज्यमंत्री बना दिया गया, लेकिन विधायक रहते उन्होंने कभी जनता के लिए कोई काम नही कराए. इसके साथ ही भदौरिया का नाम रेत माफियाओं से भी जुड़ता रहा है. कांग्रेस ने पैराशूट प्रत्याशी के रूप में अटेर के पूर्व विधायक हेमंत कटारे को उतारा है, जिनकी साख और जनता के बीच लोकप्रियता नाम घोषित होने के साथ ही दिखाई दे रही थी, जनसंपर्क के दिनों में ही हेमंत कटारे लोगों की पसंद बन गए और ओपीएस का विरोध भी उनके लिए सोने पर सुहागा जैसा हो गया.

मतदान
गोहद विधानसभा के हालात भी काफी हद मेहगांव जैसे ही रहे. बीजेपी प्रत्याशी रणवीर जाटव का विरोध देखने को मिला है, जिसकी स्वीकारित खुद कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुई, सिंधिया समर्थक सरोज जोशी ने दी. हालांकि रणवीर जाटव ने पिछले कुछ दिनों में अपने जनसंपर्क और सिंधिया की सभाओं के जरिए गोहद के ग्रामीण इलाकों के वोटर्स को मनाने का काम किया है. साथ ही बीजेपी सरकार में 450 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्य भी स्वीकृत कराए हैं, जिसका लाभ उन्हें इस बार मिल सकता है. वहीं कांग्रेस की ओर से मैदान में उतरे मेवाराम जाटव जनता के बल पर चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं लेकिन वोटिंग तक ग्रामीणों को अब तक वह अपनी बातों से संतुष्ट नहीं कर पाए.क्या सोचती है शहरी जनता

मेहगांव और गोहद दोनों ही विधानसभा के शहरी या कहे कस्बों में बीजेपी की हालात खराब है. दोनों क्षेत्र की जनता बीजेपी के दोनों प्रत्यशियों को बिकाऊ का तमगा दे चुकी है. मेहगांव के लोगों का कहना है की बीजेपी को हटाने के लिए 2018 में कांग्रेस की टिकट पर ओपीएस भदौरिया को जीत मिली थी. लेकिन वे धोखेबाजी कर बीजेपी में शामिल हो गए.

गोहद में बीजेपी प्रत्याशी रणवीर जाटव पर पानी की किल्लत को लेकर वादा खिलाफी के आरोप लगे, और ये गुस्सा जनता ने चुनाव प्रचार के दैरान भी दिखाया. लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा संतोषजनक प्रभाव नहीं छोड़ने की वजह से एक बार फिर रणवीर जनता के लिए विकल्प बनते नजर आए.

काउंटिंग में देखने को मिलेगी टक्कर

भिंड जिले की मेहगांव और गोहद दोनों ही विधानसभाओं में इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा. वरिष्ठ पत्रकार अनिल शर्मा कहते हैं कि इस बार प्रचार और मतदान के दौरान उत्पन्न हुई परिस्थितियों की वजह से मेहगांव और गोहद में बीजेपी मजबूत दिखाई दे रही है. हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर कहा जाए तो अगर फर्जी डम्प हुआ है तो मेहंगाव में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है और जीत बीजेपी के पक्ष में जा सकती है. गोहद में मुकाबला टक्कर का होगा.

मेहगांव, गोहद में वोटिंग के मायने

मेहगांव विधानसभा में उपचुनाव का यह पहला मौका था, हालांकि गोहद तीसरे उपचुनाव से गुज़र रहा है. लेकिन वोटिंग की अहमियत दोनों ही क्षेत्र की जनता भली भांति जानती है. इस बार वोटिंग के लिए विकास का मुद्दा बनाया गया, और लोगों के मतदान केंद्र पहुंचकर मताधिकार का प्रयोग किया. गोहद में हालात सामान्य और शांति पूर्ण रहे है, लेकिन मेहगांव विधानसभा सीट पर मतदान जातिगत नजर आया.

विवादों में रहा वोटिंग का दिन

मंगलवार के दिन वोटिंग शुरू होने के साथ ही उथल पुथल रही, कई जगह फायरिंग और कई जगह फर्जी मतदान की खबरें आईं, लिलोई ग्राम में बने मतदान केंद्र में असामाजिक तत्वों द्वारा ईवीएम मशीन तोड़ने का प्रयास भी किया गया. इन सभी घटनाओं के चलते यहां समीकरण अब बदलते नजर रहे हैं. मेहगांव में इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा.

भिंड जिले की दोनों विधानसभाएं यानी मेहगांव और गोहद दोनों पर ही मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला भी जनता ने ईवीएम में कैद कर दिया है, इन मतदाताओं ने किसे हाई स्कोर दिया है अब यह 10 नवम्बर को ही मतगणना के बाद पता चलेगा. रिजल्ट के लिए 5 दिन का समय है और यह समय काफी रोचक होने वाला है. क्योंकि चुनाव की रंजिश अक्सर भिंड जिले में मतदान से मतगणना के बीच देखने को मिलती है.

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