भिंड। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित ककहरा गांव विकास की बाट जोह रहा है. ककहरा ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार चरम पर है. विकास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. गांव में ना तो सड़कें हैं ना ही शौचालय. चाकों ओर सिर्फ मिट्टी और कीचड़ नजर आता है.
मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण गांव की दलित बस्ती तक पहुंचने के लिए रास्ता ही खत्म हो गया क्योंकि पूरे रास्ते पर पानी और कीचड़ है. भारी वाहनों के निकलने से पांच साल पहले बनी सड़क बनने के तीन महीने बाद ही टूट गई, तब से हालात जस के तस बने हुए हैं. इस बात पर ना ही प्रशासन ध्यान दे रहा है और ना ही सरपंच कोई बात सुनने को तैयार है. ऐसे में ग्रामीण गंदगी भरे माहौल में रहने को मजबूर हैं. गांव के लोगों का कहना है कि गांव का सरपंच अपने लोगों को फायदा पहुंचाता है. जहां प्रधानमंत्री देश भर में स्वच्छता अभियान के तहत हर घर शौचालय बनवा रहे हैं वहीं सरपंच ने गांव में शौचालयों का निर्माण भी नहीं कराया है. ग्रामीण आज भी खुले में शौच करते हैं. प्रशासन गांव के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है ना ही ग्रामीणों का समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं. भ्रष्टाचार की भेंट चढें ककहरा पंचायत के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.