भिंड। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भले ही हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन प्रदेश कांग्रेस की डोर अब जीतू पटवारी के हाथ में आ चुकी है. प्रदेश की कार्यकारिणी समाप्त कर नये प्रदेश अध्यक्ष पूरे राज्य में कार्यकर्ताओं के बीच दौरे कर रहे हैं. इन दिनों ग्वालियर चंबल-अंचल में डेरा डाले घूम रहे जीतू पटवारी ने भिंड में पत्रकारों से मुलाकात कर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर तमाम आरोप लगाये. यहां तक कि कह दिया कि, बीजेपी ने अपने ही लोगों से धोखा कर दिया. चुनाव लड़ा शिवराज के चहरे पर और सीएम मोहन को बना दिया. शिवराज सिंह को दूध में मक्खी की तरह निकल कर फेंक दिया. आज समय-समय पर शिवराज सिंह का दर्द भी छलक ही जाता है.
चेहरा किसी का दूल्हा कोई और! सिंधिया को लेकर हालत अलग कैसे
इस बयानबाजी पर जब उनसे 2018 के विधानसभा के चुनाव की याद दिलाते हुए ईटीवी भारत संवाददाता ने सवाल किया कि उस दौर में कांग्रेस के लिए भी चेहरा सिंधिया थे, लेकिन सीएम कमलनाथ बनाये गये थे. फिर आज शिवराज से तकलीफ क्यों. इस बात का जवाब देते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि-" ये आपको कब पता चला कि 2018 में सिंधिया का चेहरा था, हमें तो नहीं पता था. मैं भी उसका हिस्सा था. हमने तो कभी नहीं कहा कि वे चेहरा थे. हमारा तब भी सामूहिक चेहरा था, आज में प्रदेश क्या कांग्रेस का अध्यक्ष हूं. हमारा नेतृत्व एक है, उस समय भी ऐसा ही था."
राम मंदिर पर बोले जीतू पटवारी- कांग्रेस का स्टैंड साफ है
राम मंदिर को उपलब्धि बता कर चुनावी फायदा लेने जैसे हालातों पर जब मीडिया ने पटवारी से बात की तो उनका कहना था कि, राम मंदिर पर कांग्रेस का स्टैंड साफ रहा है. कांग्रेस पार्टी के प्रधानमंत्री ने जनमानस की भावना को देखते हुए जब यह अहसास किया कि वह जगह राम मंदिर की है, तो उसके दरवाजे खुलवाए थे. लेकिन कानूनी दांव पेचों के चलते इंतजार करना पड़ा. बाद में जब न्यायालय ने फैसला दिया की मंदिर बनना चाहिए, तो पूरे देश ने इसे स्वीकार किया. हमेशा संविधान का सम्मान किया है.
अब जब मंदिर बन रहा है, तब देश में भाजपा की सरकार है तो ये स्वाभाविक है, वे सत्ता में हैं, तो उसके क्रियाकलाप कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मत स्पष्ट है हमारी आइडियोलॉजी है कि जो जिस धर्म का स्वतंत्रता से अपना काम करे, अपनी जीवनशैली जिए. जिसको राम में विश्वास है, हिंदू में जिसको विश्वास है उत्सव मनाओ इसमें कांग्रेस स्पष्ट है.
ईवीएम पर अविश्वास, फिर भी कांग्रेस की जीत का भरोसा