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Halharini Amavasya 2023: इस दिन पूजा करने से दूर होगी हर समस्या, पितृ और कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाती है हलहारणी अमावस्या - Ashadha Halharini Amavasya 2023

Ashadha Amavasya 2023: आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पूजा-पाठ की जाती है, इस अमावस्या को हलहारणी या आषाढ़ अमावस्या भी कहा जाता है.

Ashadha Halharini Amavasya 2023
आषाढ़ अमावस्या 2023

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Published : Jun 16, 2023, 8:49 AM IST

आषाढ़ अमावस्या 2023:सनातन धर्म में पूजा पाठ जीवन का एक अहम हिस्सा है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार चंद्रमास का चौथा महीना यानी आषाढ़ का महीना पूजा पाठ के लिए बहुत शुभ होता है, इसी महीने में अमावस्या के दिन लोग अपने पितरों का तर्पण भी करते हैं. माना जाता है कि इस महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन पूजा कर पितृदोष और कालसर्प दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है. आइए जानते हैं हलहारणी या आषाढ़ अमावस्या का महत्व और इसके उपाय के बारे में.

आषाढ़ अमावस्या मुहूर्त:जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म मे आषाढ़ के महीने में पूजा पाठ हवन का बहुत महत्व होता है, लोगों को होने वाले कष्टों के निवारण के लिए भी कई तरह के पूजन इसी महीने किए जाते हैं. आषाढ़ की अमावस्या पर पितरों का तर्पण किया जाता है, माना जाता है कि इसी महीने के बाद वर्षा काल प्रारंभ हो जाता है. इस वर्ष आषाढ़ के महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 18 जून 2023 को पड़ने वाली है, हालांकि अमावस्या का आरंभ 17 जून कि सुबह 9:13 से ही शुरू हो जाएगा और इसका समापन 18 जून की सुबह 10:08 पर होगा.

हल्हारिणी अमावस्या का महत्व:आषाढ़ अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या सनातन धर्म में महत्वपूर्ण मानी गई है, यह अमावस्या पितरों की शांति और दान पुण्य के लिए किए जाने वाले धार्मिक कार्यों के लिए विशेष रुप से फायदेमंद होती है. इस दिन यजमान द्वारा कराए गए यज्ञ का फल भी कई गुना अधिक मिलता है. मान्यता है कि इस दिन किसी भी शुभ काम की शुरुआत करना शुभ होता है, खासकर जातकों को अपने पितरों की शांति के लिए इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहिए, उन्हें भोजन कराने के साथ ही दान पुण्य भी करना चाहिए.

आषाढ़ अमावस्या की पूजा:अब बात आती है कि आषाढ़ अमावस्या पर किस तरह पूजन किया जाए तो आपको बता दें कि किस दिन पवित्र नदियों और पवित्र सरोवर कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. आषाढ़ अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले ही उठ कर स्नान करना चाहिए, साथ ही व्रत रखना चाहिए. यदि नदी यह सरोवर में स्नान करना संभव ना हो तो घर में मौजूद जल में ही गंगाजल मिश्रित कर नहा लेना चाहिए, स्नान के बाद भगवान की पूजा और सूर्य देव को जल का अर्घ देना चाहिए.

वहीं पितरों की शांति के लिए शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जला कर अपने पितरों का ध्यान करना चाहिए, ऐसा करते समय पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा देनी चाहिए. इस दिन "ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः" के मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए, यह जाप तुलसी की माला हाथ में लेकर करना शुभ माना जाता है. साथ ही घर में यदि तुलसी का पौधा ना हो तो इस दिन तुलसी का पौधा रोपना(लगाना) भी अत्यंत फलदाई होता है. इस उपाय से लोगों को निरोगी रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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आषाढ़ अमावस्या पर दूर होंगे कष्ट:माना जाता है कि आषाढ़ अमावस्या पर किए गए कुछ खास उपायों से कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है. ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक अपने पितरों और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए आषाढ़ अमावस्या पर पीपल, अशोक, तुलसी, बेलपत्र, नीम, बढ़(बरगद) और आंवला जैसे शुभ वृक्ष का पौधारोपण करना चाहिए. ग्रह दोषों से छुटकारा पाने के लिए हल्हारिणी अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है,यदि परिवार और घर में सुख समृद्धि के लिए पूजन करना हो तो इस अमावस्या के दिन जरूरतमंद और गरीबों को दान देना चाहिए, उन्हें भोजन कराने और दान पुण्य से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आषाढ़ अमावस्या पर शाम के समय घी का दीपक बनाकर घर के ईशान कोण पर रखकर उसे जलाना चाहिए, इस दीपक में रोहित की जगह लाल रंग के धागे को बाती बनाकर लगाना चाहिए. इस दीपक से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं उनका आशीर्वाद से कभी भी घर में धन-संपत्ति की कमी नहीं होती और प्रभाव और बढ़ता रहता है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं ज्योतिष करना और ज्योतिषविदों की जानकारी के आधार पर है,ETV Bharatइसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता है.

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