आषाढ़ अमावस्या 2023:सनातन धर्म में पूजा पाठ जीवन का एक अहम हिस्सा है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार चंद्रमास का चौथा महीना यानी आषाढ़ का महीना पूजा पाठ के लिए बहुत शुभ होता है, इसी महीने में अमावस्या के दिन लोग अपने पितरों का तर्पण भी करते हैं. माना जाता है कि इस महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन पूजा कर पितृदोष और कालसर्प दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है. आइए जानते हैं हलहारणी या आषाढ़ अमावस्या का महत्व और इसके उपाय के बारे में.
आषाढ़ अमावस्या मुहूर्त:जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म मे आषाढ़ के महीने में पूजा पाठ हवन का बहुत महत्व होता है, लोगों को होने वाले कष्टों के निवारण के लिए भी कई तरह के पूजन इसी महीने किए जाते हैं. आषाढ़ की अमावस्या पर पितरों का तर्पण किया जाता है, माना जाता है कि इसी महीने के बाद वर्षा काल प्रारंभ हो जाता है. इस वर्ष आषाढ़ के महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 18 जून 2023 को पड़ने वाली है, हालांकि अमावस्या का आरंभ 17 जून कि सुबह 9:13 से ही शुरू हो जाएगा और इसका समापन 18 जून की सुबह 10:08 पर होगा.
हल्हारिणी अमावस्या का महत्व:आषाढ़ अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या सनातन धर्म में महत्वपूर्ण मानी गई है, यह अमावस्या पितरों की शांति और दान पुण्य के लिए किए जाने वाले धार्मिक कार्यों के लिए विशेष रुप से फायदेमंद होती है. इस दिन यजमान द्वारा कराए गए यज्ञ का फल भी कई गुना अधिक मिलता है. मान्यता है कि इस दिन किसी भी शुभ काम की शुरुआत करना शुभ होता है, खासकर जातकों को अपने पितरों की शांति के लिए इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहिए, उन्हें भोजन कराने के साथ ही दान पुण्य भी करना चाहिए.
आषाढ़ अमावस्या की पूजा:अब बात आती है कि आषाढ़ अमावस्या पर किस तरह पूजन किया जाए तो आपको बता दें कि किस दिन पवित्र नदियों और पवित्र सरोवर कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. आषाढ़ अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले ही उठ कर स्नान करना चाहिए, साथ ही व्रत रखना चाहिए. यदि नदी यह सरोवर में स्नान करना संभव ना हो तो घर में मौजूद जल में ही गंगाजल मिश्रित कर नहा लेना चाहिए, स्नान के बाद भगवान की पूजा और सूर्य देव को जल का अर्घ देना चाहिए.