भिंड।इस साल शनि का राशि परिवर्तन कर कुंभ में लौटना अन्य ग्रहों के गोचर से विशेष योग बना रहा है. 22 अप्रैल को मेष राशि में गुरु का गोचर होने से दोनों ग्राहकों का प्रभाव अखंड साम्राज्य राजयोग बना रहा है. ऐसे में 4 ऐसी राशियां हैं, जिनकी किस्मत इस विशेष योग की बदौलत सकारात्मक रूप से बदलने वाली है. आइए जानते हैं कहीं आपकी किस्मत भी तो नहीं बदलने वाली है. बीती 17 जनवरी को विशेष संयोग के साथ 30 साल बाद राशि परिवर्तन के साथ शनि महाराज अपनी राशि कुंभ में प्रवेश कर चुके हैं. वे अब आने वाले ढाई वर्षों तक इसी राशि में रहेंगे.
अखंड साम्राज्य राजयोग बन रहा:ग्रह दशाओं का बदलाव राशियों पर प्रभाव छोड़ता है. पुरातनकाल से ही नक्षत्र गणना के जरिए ज्योतिषविद राशियों के समय की भविष्यवाणी करते आए हैं. इस साल 17 जनवरी को न्याय और सच्चाई के देव शनि राशि परिवर्तन के साथ अपनी स्वराशि यानि मूल त्रिकोण राशि कुंभ में प्रवेश कर चुके हैं और अब 22 अप्रैल को भाग्य वृद्धि करने वाले देव बृहस्पति भी गोचर कर रहे हैं. दोनों ग्रहों के गोचर से बहुत ही खास योग अखंड साम्राज्य राजयोग बनने जा रहा है, जो कुछ राशियों के जातकों का भाग्य पलट कर, उनकी किस्मत चमका देगा. मान्यता है कि जिस जातक की कुंडली में यह राजयोग बनता है उसे व्यापार, करियर और हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां मिलती है. उसे पूरे जीवन भर कभी धन की कमी नहीं रहती. इस योग से कुंडली में बन रहे कुप्रभाव भी बेअसर हो जाते हैं.
Shani Gochar 2023: शनि की ढैया-साढ़े साती से पीड़ित 5 राशि के लोगों की अगले ढाई साल तक चमकेगी किस्मत
इस वजह से बनता है अखंड साम्राज्य योग:पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नक्षत्र और पंचांग की गणना ग्रह और राशियों की स्थिति निर्धारित करती है. माना जाता है कि, अखंड साम्राज्य योग सिर्फ वृश्चिक, कुंभ, सिंह और वृषभ राशियों में बनता है, क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह योग सिर्फ स्थित लग्न वाली कुंडलियों में ही बनता है. जो केवल ये चार राशियां हैं. इसके साथ ही यह विशेष फलदायी योग तब भी बनता है जब गुरु कुंडली लग्न के दूसरे, पांचवे या ग्यारहवें घर का स्वामी हो. वृषभ लग्न के लिए गुरु जब 11वें भाव, कुंभ के लिए दूसरे और 11वें भाव, सिंह लग्न में 5वें भाव वृश्चिक में दूसरे और 5वें भाव का कारक होता है. वहीं चंद्रमा के साथ अगर कुंडली के दूसरे, 9वें और 11वें घर में गुरु मजबूत स्थिति में मौजूद है तब भी यह विशेष राजयोग बनता है. साथ ही जब कुंडली लग्न के दूसरे, 10वें और 11वें भाव के स्वामी ग्रह एक साथ केंद्र में मौजूद हों तो अखंड साम्राज्य योग बनता है, जो राशियों के जातकों के लिए बहुत शुभ और सुखद होता है.