भिंड। कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है, अप्रैल का महीना है और गर्मी भी प्रचंड है, ऐसे में गरीबों का देसी फ्रीज कहीं नजर नहीं आ रहा, जिसके सहारे भीषण गर्मी में गरीब ठंडे पानी से अपना गला तर करते हैं. मार्केट में 200 रुपए में देसी फ्रिज यानि मटका लॉकडाउन में पूरी तरह लॉक है. लॉकडाउन के चलते न तो आम आदमी बाजार जा पा रहा है, न ही मटका बनाने वाला कुम्हार कहीं दिख रहे हैं, ऐसे में उनकी महीनों की मेहनत मिट्टी में मिल रही है और दस्तकारों की रोजी-रोटी भी छिन सी गई है.
लॉकडाउन के बीच तपती गर्मी गरीबों के लिए परेशानी का सबब बन रही है, इसका बड़ा असर कुम्हारों की जेब पर भी पड़ रहा है. ये लोग पिछले आठ-नौ महीने से मिट्टी के मटके तैयार कर रहे थे, लेकिन अब बिक्री का सीजन आया तो कोरोना इन कुम्हारों की कमर तोड़ रहा है.
बाजार में मटकों की सप्लाई नहीं होने के कारण इन कुम्हारों के घर में बस मटके ही मटके दिख रहे हैं, घर में रहने तक की जगह नहीं बची है, गर्मी में मटकों की मांग बढ़ जाती है, इसलिए कुम्हार पहले से मटका बनाकर स्टाक में रखते हैं, ताकि गर्मी आने पर इसे बेचकर कमाई कर सकें, अमूमन एक मटका बाजार में 100 से 200 रुपए तक में बिकता है. गर्मी के सीजन में दस्तकारों की बिक्री हर दिन 10000 रुपए तक हो जाती थी, पर आज उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. मटका बनाने के लिए लाखों की मिट्टी खरीदी थी, लेकिन बिक्री नहीं होने से आज घाटा बढ़ता जा रहा है.