भिंड। जिले में 20 साल तत्कालीन बीजेपी सांसद डॉ राम लखन सिंह द्वारा शासकीय स्कूलों के लिए की गई कंप्यूटर खरीदी में घोटाले का मामला एक बार फिर तूल पकड़ने लगा है. पिछले साल कांग्रेस शासनकाल में केस की खात्मा रिपोर्ट फाइल की गई थी.लेकिन याचिकाकर्ता- अधिवक्ता अशोक सिंह भदौरिया ने खात्मा रिपोर्ट पर आपत्ति लगाते हुए इसकी जांच की मांग की है. जिस पर विशेष अदालत द्वारा मामले में आठ बिंदुओं पर जांच करने के लिए ईओडब्लू को निर्देशित किया गया है. ये जानकारी भदौरिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी है.
क्या है पूरा मामला ?
साल 1999- 2000 में भाजपा के तत्कालीन भिंड-दतिया सांसद डॉ राम लखन सिंह कुशवाह द्वारा 23 शासकीय स्कूलों के लिए कुल 115 कंप्यूटर खरीदने सांसद निधि से रुपए दिए गए थे. इसके साथ ही कंप्यूटर खरीदी के लिए एजेंसी की रिकमेंडेशन भी तत्कालीन कलेक्टर मुक्तेश वार्ष्णेय को दी गई थी. कलेक्टर द्वारा भी कंप्यूटर लगाए जाने के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाएं जिनमें बिजली फर्नीचर कक्ष आदि की जांच किए बिना कंप्यूटर लगाए जाने के आदेश सांसद द्वारा बताई गई एजेंसी को दे दिए गए थे.
जानकारी के मुताबिक एक कंप्यूटर में 99 हजार का दर्शाया गया. जबकि कंप्यूटर एचसीएल कंपनी के लगाए जाने थे. उनकी जगह असेंबल्ड कंप्यूटर के महज सीपीयू बॉक्स रखे गए. जिनमें कोई भी कंप्यूटर हार्डवेयर तक नहीं लगाया गया था. इस पूरे घोटाले के खिलाफ जानकारी मिलने पर अधिवक्ता अशोक भदौरिया ने ग्वालियर हाई कोर्ट खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में गया था. लेकिन उस फैसले को आरोपी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सर्वोच्च न्यायालय ने भी हाई कोर्ट के निर्देश को सही ठहराते हुए तत्कालीन कलेक्टर और तत्कालीन सांसद दोनों के खिलाफ ईओडब्ल्यू द्वारा एफआईआर दर्ज कराए जाने के निर्देश दिए थे. बावजूद इसके राजनीतिक पकड़ और रुतबे के चलते पैसे के दम पर मामला काफी समय तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा.