भिंड।सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को बाबरी विध्वंस मामले में फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि, ढांचा विध्वंस की घटना पूर्वनियोजित नहीं थी. ये आकस्मिक घटना थी. अदालत ने कहा कि, आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले, बल्कि इन्होंने उन्मादी भीड़ को रोकने के प्रयास किए थे. इस मामले में आरोपी रहे पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने ईटीवी भारत से बात की और कोर्ट के फैसले का स्वागत किया.
'पहले भी आता यही फैसला'
जयभान सिंह पवैया कहते हैं कि, अगर 40 साल बाद भी न्यायालय का फैसला आता, तो यही होता. क्योंकि कुछ भी पहले से सुनियोजित नहीं था. जिसे कोर्ट ने भी माना है और सबसे बड़ी बात कि, आज तक इतने सालों में इस केस के दौरान सीबीआई एक सबूत एक फोटोग्राफ तक पेश नहीं कर पाई.
'कांग्रेस सरकार ने रचा था षड्यंत्र'
इसके अलावा उन्होंने कहा कि, 'ये तत्कालीन केंद्र की कांग्रेसी सरकार द्वारा रची गई साजिश थी. जो कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर तैयार की गई थी. जिसका उद्देश्य था कि, सारी दुनिया में हिंदू नेताओं, हिंदू संगठनों और हिंदू संतों की छवि खराब की जाए. उनको बदनाम किया जाए. डकैती और लूटपाट जैसी धाराएं तो मेरे ऊपर भी लगा दी गईं थीं. लेकिन सीबीआई किसी तरह का सबूत नहीं दे पाई. उस समय तो बीजेपी की सरकार भी नहीं थी. उन्होंने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि, मुझे इस बात की खुशी है कि, न्याय हुआ है. उन ताकतों का पर्दाफाश हुआ है, जो हिंदुओं की आस्था को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.
ओवैसी पर किया पलटवार
इस दौरान उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि, वे चाहते हैं कि, हमें जेल भेज दिया जाए. लेकिन कोर्ट सबूतों के आधार पर फैसला सुनाती है, उन्होंने इस फैसले को उतना ही ऐतिहासिक बताया, जितना कि राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला. साथ ही उन्होंने कहा कि, ढांचे को तोड़ना षड्यंत्र नहीं था. अगर यह सुनियोजित षड्यंत्र होता तो अशोक सिंघल लोगों से मिट्टी और बालू से कार सेवा करने की अपील नहीं कर रहे होते. लोगों को रोक नहीं रहे होते. लोगों को पता था कि, ढांचे के नीचे उन्हीं के भगवान बैठे हैं, तो वे छत पर चढ़कर ऐसा कभी नहीं करते. ये सुनियोजित नहीं था, उन्मादी भीड़ का गुस्सा था.