भिंड। साल 2019 तो गुजर गया लेकिन साल गुजरते गुजरते भी किसानों का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, फिर चाहे वह सरकार के वादे हो या घोषणाएं. लेकिन किसान हमेशा सियासत की चासनी में ही पिसा है. सरकारें आई और गई लेकिन अन्नदाता की समस्याएं खत्म नहीं हुई. भिंड जिले में भी किसान खासा परेशान है. यहां अन्नदाता चीख-चीख कर अपने हक की मांग कर रहा है और किसानों की मिसाह बनने वाली सरकारों से सवाल कर रहा है.
कर्ज माफी हो या मुआवजा या अपने हक का फसल बोनस जिले का किसान आज भी इन समस्याओं से घिरा हुआ है किसानों का कहना है कांग्रेस को वोट दिया था सोचा था कि दिन बदलेंगे लेकिन आज तो हालात और गंभीर हो गए हैं. ईटीवी भारत किसानों के बीच पहुंचा तो किसानों ने अपना दर्द साझा किया. किसानों ने बताया कि उनको ना तो योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है, ना परेशानियों की कोई सुनवाई हो रही है. इस सरकार की सभी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही चलाई जा रही हैं. कर्जमाफी को लेकर किसानों ने बताया कि उनका कर्ज भी माफ नहीं हुआ है.
खत्म नहीं हो रहा बोनस का इंतजार
इस साल गेहूं की फसल के लिए कमलनाथ सरकार ने न्यूनतम खरीद दर 1846 रुपए और 160 रूपये फसल बोनस की घोषणा की थी. गेहूं खरीदा भी गया और मूल रकम खातों में भी आई, लेकिन जिले के 10,000 से ज्यादा किसान आज भी फसल बोनस राशि का इंतजार कर रहे हैं. इन किसानों का करीब 12.5 करोड़ रुपए का बोनस आज तक खातों में नहीं आया है. जिसको लेकर कई बार किसानों ने आंदोलन और प्रदर्शन कर सरकार को चेताया भी है.
खरीफ फसल पंजीयन तो हुए नहीं, खरीदी फसल
किसानों ने बताया कि खरीफ की फसल के लिए सरकार ने बाजरा खरीदी का नोटिफिकेशन निकाला था. रजिस्ट्रेशन दर 200 रूपये थी. फिर भी किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन जब बाजरा बेचने के लिए मंडी पहुंचे तो सैंपल फेल बता कर किसी किसान का बाजरा नहीं खरीदा गया. किसानों ने कहा कि यह सरकार द्वारा छल किया गया है.