भिंड।पेट्रोल-डीजल और एलपीजी के बढ़े दामों के चलते महंगाई की मार आम जनता पर पड़ रही है. जिसके विरोध में आज कांग्रेस ने 6 घंटे का प्रदेश व्यापी बंद का आवाहन किया था. इसी क्रम में भिंड में भी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने व्यापारियों से अपने प्रतिष्ठान बंद रखने की अपील की थी. इस बंद का भिंड में मिलाजुला असर देखने को मिला एक ओर जहां कुछ व्यापारियों ने कांग्रेसियों के पहुंचने पर अपने प्रतिष्ठान बंद किए, तो वही कुछ व्यापारियों से दुकानें बंद कराने को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तीखी बहस भी हुई.
व्यापारियों और कांग्रेसियों में बहस
भिंड के जाने-माने किराना व्यापारी माणिक चंद जैन के प्रतिष्ठान पर पहुंचे कांग्रेसियों से व्यापारियों की बहस हो गई. किराना व्यापारी का कहना था के कांग्रेसियों का इस तरह दुकानें बंद कराने का तरीका गलत है, एक तो पहले से ही महंगाई के चलते भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं दुकानें बंद कर उन्हें आर्थिक नुकसान भी होगा. उन्होंने बंद के समर्थन करने और न करने दोनों ही बातें कहीं.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान व्यापारियों का कहना था कि कांग्रेश 18 महीने तक सरकार में थी यदि वाकई उन्हें पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों से समस्या थी, तो मध्य प्रदेश में उन 18 महीनों के दौरान तत्कालीन सरकार ने क्यों टैक्स कम नहीं किए, क्यों पेट्रोल डीजल सस्ता नहीं किया. व्यापारियों ने कहा कि उन्होंने अपनी दुकानें बंद के समर्थन में 12:00 बजे तक बंद रखी थी, लेकिन वापस दुकानों को लगाने में कम से कम डेढ़ से 2 घंटे का समय जाता है. ऐसे में यदि हम 2:00 बजे तक अपनी दुकानें बंद रखेंगे तो व्यापार करने के लिए समय बचेगा ही नहीं. साथ ही बढ़ती महंगाई को लेकर भी कहा कि महंगाई तो पहले से ही बढ़ चुकी है ऐसे में इस तरह के प्रदर्शन और दुकानें बंद कराने से क्या वाकई महंगाई घटेगी.
'बढ़नी चाहिए थोड़ी महंगाई'
वहीं एक अन्य व्यापारी हैं कहा के यदि बाजार में मिलने वाले सामान की कीमत नहीं बनेंगे तो व्यापारी को मुनाफा कहां से होगा. जब बाजार में टमाटर की कीमत बढ़ती है तो उसका फायदा किसान को भी मिलता है ऐसे में थोड़ी बहुत महंगाई बढ़ना भी जरूरी है. हालांकि साथ ही उन्होंने कहा कि इस महंगाई का खुद पर असर ना पड़े इसके लिए जरूरी है कि लोग अपनी जरूरतें कम करें. सिर्फ पेट्रोल-डीजल के बढ़ने से महंगाई को कंट्रोल नहीं किया जा सकता, जरूरत इस बात की है कि हम पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें, जितने गाड़ियां हम चलाते हैं, उस में कटौती करें तो जब खपत कम होगी तो इसका भार भी जेब पर कम आएगा.