भिंड।गोवर्धन पूजा के दिन सूर्य ग्रहण और उसके 15 दिन के अंदर ही दूसरा ग्रहण पड़ना ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शुभ नहीं होता. मंगलवार यानि 8 नवंबर का दिन खगोलीय और ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार बेहद महत्वपूर्ण है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन साल का आखिरी चन्द्र ग्रहण लगने जा रहा है. इस दिन ग्रहण से पहले ही सूतक काल प्रारंभ हो जायेगा. सूतक काल में पूजा से लेकर किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. (Chandra Grahan 2022)
क्या होता है ग्रहण काल:ग्रहण पूरी तरह भगौलिक घटना है, जो सूर्य या चंद्रमा आदि ग्रहों के परिभ्रमण पर आधारित होते हैं. ये ग्रहण वर्ष में कई बार देखे जा सकते हैं और कई बार वर्ष में एक भी ग्रहण नहीं होता है. ग्रहण की शुरुआत के साथ समाप्ति की समयावधि को ग्रहण काल कहा जाता है. सूर्य ग्रहण में यह समय कुछ मिनटों का होता है जबकि चन्द्र ग्रहण 1 घंटा 45 मिनट तक का हो सकता है. मंगलवार 8 नवंबर 2022 को होने वाले चंद्र ग्रहण में ग्रहण काल शाम 5:21 पर शुरू होगा, जो लगभग शाम 6:19 पर समाप्त होगा. ग्रहण काल की अवधि इस दिन करीब 58 मिनट की होगी. (Interesting facts lunar eclipse)
ग्रहण के दौरान इन बातों का रखे ध्यान:ग्रहण शुरू होने से पहले स्नान करना चाहिए. ग्रहण के प्रारंभ और मध्यकाल में भगवान की आराधना, मंत्रजप, यज्ञ इत्यादि करना चाहिए. ग्रहण जब समाप्त होने जा रहा हो उस समय दान और ग्रहण समाप्ति के बाद दोबारा स्नान करना चाहिए. ग्रहण से पहले बनाया गया भोजन भी ग्रहण के बाद नहीं खाना चाहिए. ग्रहण का दर्शन नहीं करना चाहिए, इस समय घर के अंदर ही रहना चाहिए.
इन चीजों का किया जा सकता है सेवन:ग्रहण काल से पहले बनाया गया भोजन ग्रहण समाप्ति के बाद नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ पदार्थों को इससे छूट है. दूध, दही, छाछ, घी और तेल में तले हुए पदार्थों में ग्रहण दोष नहीं माना जाता है. इनका सेवन किया जा सकता है. साथ ही सूखा राशन और भोजन के पात्रों में कुशा जिसे दुर्भा या दूबा भी कहा जाता है उसको रखना चाहिए, क्यूंकि कुशा को भगवान विष्णु का रोम कहा जाता है. कुशा को सबसे पवित्र माना गया है, इसलिए जिस पात्र में कुशा रखी हो उस पर ग्रहण का दोष नहीं होता है. ग्रहण समाप्त होने पर उसे हटाया जा सकता है. (lunar eclipse on kartik purnima)