मध्य प्रदेश

madhya pradesh

Unlock Impact! आर्थिक तंगी से गुजर रहे लोहार-कुम्हार, अनलॉक के बाद भी मुश्किलें कम नहीं

By

Published : Jun 10, 2021, 2:48 PM IST

भिंड में गरीब बंजारे जो लोहे के बर्तन, कृषि उपकरण, मिट्टी के बर्तन तैयार कर उन्हें बेचते हैं और इनसे ही उनका घर चलता है. भिंड में ऐसे 50 से अधिक परिवार हैं जो अलग-अलग शहरी और नगरीय इलाकों में रहकर गुजर बसर करते हैं, लेकिन कोरोना काल में यह आर्थिक तंगी से परेशान हैं.

Unlock Impact
आर्थिक तंगी से गुजर रहे लोहार-कुम्हार

भिंड।मध्य प्रदेश के भिंड में ऐसे कई समुदाय हैं जो लोहे के बर्तन, मिट्टी के बर्तन और अन्य कई तरह के उत्पाद तैयार करते हैं. यह लोग अपने सामान को तैयार कर सड़क किनारे उन्हें बेचने के लिए छोटी-छोटी दुकानें लगाते हैं, लेकिन पिछले एक साल से यह लोग लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. मार्च 2020 में देश में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के बाद से लगे लॉकडाउन के कारण इन लोगों ने जो मुश्किलें देखी हैं और जो अभी देख रहे हैं इसकी बस कल्पना ही की जा सकती है.

आर्थिक तंगी से गुजर रहे लोहार-कुम्हार
  • भिंड में ऐसे 50 से अधिक परिवार

भिंड जिले में गरीब बंजारे, लोहार जो लोहे के बर्तन, कृषि उपकरण, मिट्टी के बर्तन तैयार कर उन्हें ब्रिकी करते हैं और इससे ही इनका घर चलता है. भिंड में ऐसे 50 से अधिक परिवार है जो अलग-अलग शहरी और नगरीय इलाकों में रहकर गुजर बसर करते हैं. इन लोगों के व्यवसाय में पहले से ही आर्थिक तंगी थी क्योंकि अब लोग लोहों के बर्तनों की जगह स्टील के बर्तन इस्तेमाल करने लगे हैं. इसके अलावा ऑनलाइन शॉपिंग ने भी इन लोगों के काम पर खासा असर किया है.

  • धुंधड़ि बाई का दर्द

भिंड के मुख्य बाजार में सड़क किनारे फुटपाथ पर लोहे के बर्तन और औजारों की दुकान सजाए बैठी धुंधड़ि बाई कहती हैं कि जिनके पास पैसा है वह घर बैठ कर खा सकते हैं, लेकिन उनके घर में कोई कमाने वाला नहीं है. बाजार में फुटपाथ पर अपना समान बेच कर जो पैसा आता है उससे चूल्हा जलता है. बाई ने आगे कहा कि अगर बिक्री नहीं तो खाली पेट पानी पीकर भी रहना पड़ता है. बकौल बाई, सरकार की ओर से मिलने वाला मुफ्त राशन भी उनको नसीब नहीं हुआ है. ऐसी हालत में जाए तो कहां जाएं. आम दिनों में वह बाजार में सामान बेचकर 200 रुपए तक कमा लेती थीं, लेकिन कोरोना कर्फ़्यू की वजह से वह व्यापार भी ठप हो गया है. वह कर्फ़्यू में लोगों के घर मांग-मांग कर पेट भरने को वह मजबूर हो गए थे, लेकिन दोबारा बाजार खुला भी है तो बिक्री नहीं हो रही.

मीनाक्षी की कहानीः ससुर की सेवा के लिए छोड़ी नौकरी, आज संभाल रहीं खुद का बिजनेस

  • गुड्डी बाई की कहानी

बाजार में धुंधड़ि बाई की तरह ही फुटपाथ पर गुड्डी भी दुकान लगाती है. गुड्डी करती है कि उनके भूख से हाल बेहाल हैं घर में बच्चे भी भूखे हैं, हाथों से बर्तन बनाते है फिर भी कमाई हो नहीं रही है. बाजार में सामान बेचने के लिए आए हैं, लेकिन पुलिसवाले सामान नहीं बेचने देते. ऐसे में हम भूख से मरने की कगार पर आ गाए हैं.

  • सुनार परेशान और गहनों के कारीगर भी

भिंड के बाजारों में लोहार और कुम्हार के अलावा सोने-चॉदी के आभूषण बनाने का काम करने वाले लोग यानि सुनार भी परेशान हैं. हालांकि इन लोगों के पास अपना घर चलाने के लिए अन्य पैसों की कोई कमी नहीं रहती, लेकिन पिछले शादियों के सीजन में इनका काम बंद होने के कारण इनकी दुकानों में काम करने वाले कारीगरों और अन्य कर्मचारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

MP में सियासी उठापटक को मंत्री तोमर ने नकारा, कहा- शिवराज सिंह ही रहेंगे मुख्यमंत्री

हालांकि कोरोना काल में छोटे हो या बड़े हर किसी व्यापारी पर आर्थिक मार पड़ी है. कई लोग बेरोजगार हुए है, कई कर्ज में डूब चुके हैं. लिहाजा अब इन लोगों को अनलॉक के बाद व्यापार चलाने के लिए मिलने वाली छूट का इंतेजार है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details