भिंड। जिले के ऐतिहासिक वनखंडेश्वर महादेव मंदिर पर भक्तों की भारी भीड़ लगती है. इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना बताया जाता है. कहते है कि मंदिर की स्थापना पृथ्वीराज चौहान ने कराई थी. तब से भोले बाबा अपनी कृपा भिंड पर बनाए हुए हैं. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं. मंदिर में पृथ्वीराज चौहान के ने अखंड ज्योती जलाई थी जो आज भी जल रही है.
11 किलो चांदी के आभूषणों से होता है भोलेनाथ का श्रृंगार प्राचीन वनखंडेश्वर मंदिर में हर महीने दो बार भोलेनाथ का फूलों से श्रृंगार किया जाता है, इस बार दशहरे पर एक बार फिर मंदिर में भगवान भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया. जहां भगवान भोलेनाथ को करीब 11 किलो चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है.
11 किलो चांदी के आभूषणों से किया जाता भोलेनाथ का श्रृंगार
बता दें 11वीं सदी में शिवभक्त पृथ्वीरराज चौहान ने महोबा के चंदेल राजा से युद्ध फतह करने के बाद दशहरे के दिन वनखंडेश्वर महादेव पर चांदी और आभूषणों से श्रृंगार किया था. जिसके बाद आज भी ये परंपरा जारी है. दशहरे के दिन भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक कर आकर्षक आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है, जिसके साथ ही श्रद्धालु दर्शन कर पूजा-अर्चना करते है. पृथ्वीराज चौहान ने मंदिर में चांदी का छत्र, नाग, मुकुट और भोलेनाथ का मनमोहक चेहरा पहनाया जाता है. जिसके बाद दर्शन का सिलसिला मध्यरात्रि तक जारी रहता है.
न्यायालय में सुरक्षित रखे जाते हैं भोलेनाथ के आभूषण-
प्राचीन वनखंडेश्वर भोलेनाथ के श्रृंगार के लिए उपयोग होने वाले आभूषणों को सुरक्षा के लिए न्यायालय में रखा जाता है. दशहरे के दिन श्रृंगार के लिए न्यायालय से एक दिन पहले निकाला जाता है, जिसके बाद अगले ही दिन उन्हें वापस न्यायालय में रख दिया जाता है.