भिंड।साल 2020 जल्द ही हमें अलविदा कहने जा रहा है, लेकिन यह साल अपने साथ कई बड़े घटनाक्रम भी लेकर आया, जहां कोरोना वायरस ने लोगों के लिए पॉजिटिव शब्द के मायने बदल कर रख दिए, तो वहीं राजनीतिक लिहाज से भी यह साल काफी उठापटक भरा रहा है. बात अगर भिंड जिले की जाए तो यहां एक साथ कई बड़े राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिले हैं.
- विधायकों के इस्तीफों ने बदले समीकरण
साल 2020 में फरवरी के बाद जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाथ छोड़, कमल थाम लिया, तो उनके साथ भिंड जिले के दो कांग्रेसी विधायक मेहगांव से ओपीएस भदौरिया और गोहद से रणवीर जाटव ने भी इस्तीफा देकर भगवा रंग ओढ़ लिया, नतीजा यह हुआ के दोनों ही विधानसभा में उप चुनाव हुए जिसमें एक सीट बीजेपी के तो एक कांग्रेस के खाते में गई. इस उपचुनाव में बीजेपी को मेहगांव सीट पर फायदा मिला, क्योंकि पहले भिंड जिले में बीजेपी के पास सिर्फ एक विधायक था, लेकिन मेहगांव उपचुनाव जीतने के साथ ही अब भिंड जिले में 5 में से 2 विधानसभा में बीजेपी के खाते में है. वहीं कांग्रेस को इस बार नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि 2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास तीन विधायक थे, लेकिन वर्तमान स्थिति में भिंड जिले की 5 में से दो ही सीटें कांग्रेस की रह गई हैं.
- गोहद में कांग्रेस का कीर्तिमान, उपचुनाव की हैट्रिक
साल 2020 भले ही कांग्रेस के लिए राजनीतिक लिहाज से घाटे का साल रहा लेकिन गोहद उपचुनाव के साथ कांग्रेस ने एक नया कीर्तिमान भी रचा है. गोहद में रणवीर जाटव के इस्तीफे के बाद तीसरी बार उपचुनाव हुए और एक बार फिर चुनाव जीतकर कांग्रेस ने हैट्रिक लगा दी, क्योंकि इससे पहले साल 1985 में गोहद में तत्कालीन विधायक चतुर्भुज भदकारिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी, तो वहीं 2009 में कांग्रेस विधायक माखनलाल जाटव की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे रणवीर जाटव को कांग्रेस ने टिकट दिया था और जीत का सेहरा भी रणवीर जाटव के सर ही आया था, लेकिन 2020 में रणवीर जाटव के इस्तीफे के बाद एक बार फिर जनता ने कांग्रेस पर ही भरोसा जताया और उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जाटव को जीत दिलाकर कांग्रेस को लगातार तीन बार जताकर उपचुनाव हैट्रिक का सरताज बनाया.
- आजादी के बाद मेहगांव को मिला पहला मंत्री
मेहगांव विधानसभा 1951 में पहली बार पहचान में आई थी. उस वक्त मध्य प्रदेश की 79 विधानसभाओं में यह गोहद मेहगांव के नाम से जानी जाती थी, लेकिन जल्द ही मेहगांव को अलग से विधानसभा क्षेत्र की पहचान मिली, बावजूद इतने लंबे समय बाद भी भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा से कोई भी विधायक मंत्री पद पर नहीं बैठ सका, लेकिन सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके साथ अपनी विधायकी त्याग कर तत्कालीन कांग्रेस विधायक ओपीएस भदौरिया बीजेपी में शामिल हो गए और मध्य प्रदेश में एक बार फिर शिवराज की सरकार को सत्ता में लाने में अपनी अहम भूमिका निभाई, जिसका फल उन्हें जल्द ही मिला, और शिवराज मंत्रिमंडल में नगरीय प्रशासन विभाग का राज्यमंत्री पद बतौर इनाम उन्हें मिला. ऐसे कहा जा सकता है लेकिन इतिहास में ओपीएस भदोरिया मेहगांव विधानसभा से पहले मंत्री बने हैं.