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सावधान: गाड़ी चलाते वक्त हुई यह चूक तो कट सकता है आपका हजारों रुपये का चालान…

भिंड में इन दिनों यातायात पुलिस ने तेज आवाज के हॉर्न वाले वाहनों पर नकेल कसने का बीड़ा उठाया है. वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने को लेकर यातायात विभाग ने साउंड रडार का उपयोग शुरू किया है. पुलिस ने अब तक एक सैकड़ा वाहनों पर चलानी कार्रवाई भी की है. (Bhind Traffic police cutting challan for Loud horn) vehicles being Challaned by )

traffic rules follow in bhind
भिंड यातायात पुलिस

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Published : Feb 14, 2022, 1:13 PM IST

भिंड।अब तक आपने ट्रैफिक नियम तोड़ने और हेलमेट नहीं लगाने पर चालान कटते हुए देखा होगा, लेकिन क्या कभी सोचा है आपकी गाड़ी में लगा हॉर्न ज्यादा तेज आवाज करता है या तेज हॉर्न के साथ आप गाड़ी चलाते हैं तो आपको चालान भरना पड़ सकता है. जी हां, भिंड में इन दिनों यातायात पुलिस तेज हॉर्न वाले वाहनों पर कमर कसे हुए है. इसके लिए टेक्नॉलजी का भी सहारा लिया जा रहा है.

एमपी में प्रेशर हॉर्न के खिलाफ चलानी कार्रवाई

हॉर्न की तीव्रता मापने के लिए साउंड रडार का उपयोग
भिंड में सड़क पर ड्राईविंग के दौरान यह देखा जा रहा है वाहन में कितनी तेज आवाज से प्रेशर हॉर्न बजता है और उससे ध्वनि प्रदूषण हो रहा है या नहीं. वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने को लेकर यातायात विभाग ने साउंड रडार का उपयोग शुरू किया है. इस मशीन के जरिए वाहन के हॉर्न से निकलने वाली आवाज की तीव्रता पेपर पर प्रिंट होती है, जो इस बात का सबूत होती है की आवाज कितनी तेज है या नियमों के अंतर्गत है या नहीं.

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सैकड़ा लोगों पर चालानी कार्रवाई
ट्रैफिक पुलिस प्रभारी रंजीत सिकारवर ने बताया की ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल करने वाले वाहन, ओवरस्पीड वाहनों पर कार्रवाई हो रही है. पुलिस ने अब तक एक सैकड़ा वाहनों के चलान काटे हैं. जो लोग अपनी गलती माने लेते हैं, उन्हें स्पॉट पर ही तीन हजार का चालान भरवाया जाता है. वहीं जिन लोगों को लगता है की चालान गलत है उन्हें कोर्ट में चालान दिया जाता है.

यातायात विभाग ने साउंड रडार का उपयोग शुरू किया है.

खतरनाक है हॉर्न की तेज आवाज

प्रेशर हॉर्न से 80 प्रतिशत वायू प्रदूषण फैलता है. WHO (World Health Organization) के मुताबिक वाहनों में हॉर्न रात में 45 और दिन में 55 डेसीबल तक ही होनी चाहिए. लेकिन बाईक सवार, ट्रक चालक नियम कानून को ताक पर रख 125 से 150 डेसीबल के हॉर्न बजाकर सड़कों पर चलते हैं. सिर्फ ट्रेन्स के लिए 150 डेसीबल के हॉर्न अलाउड है. इससे ध्वनि प्रदूषण का खतरा तो रहता ही है साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. एक्स्पर्ट्स के मुताबिक इंसान के कान सिर्फ 60 डेसीबल तक की ध्वनि को झेल सकते हैं. स्टडी में सामने आया है की ट्रेन चलाने वाले लोको पायलेट को भविष्य में कम सुनाई देने की समस्या होती है. प्रेशर हार्न से लोगों के बहरे होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

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