भिंड।शिक्षा सरहदों की मोहताज नहीं होती. भिंड के एक शासकीय शिक्षक सत्यभान सिंह भदौरिया ने यह साबित भी किया है. भिंड में रहने वाले सत्यभान इन दिनों रशिया की मायकोप यूनिवर्सिटी के छात्रों को बायो फ्यसिक्स पढ़ाया है. भिंड के शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 में हायर सेकेंडरी के छात्रों को पढ़ाने वाले मास्टर जी अब रुस तक में अपनी पहचान बना ली हैं.
रशिया के छात्रों को Bio-physics पढ़ा रहे भिंड के 'सत्यभान' मायकॉप विश्वविद्यालय ने किया था संपर्क
शिक्षक सत्यभान सिंह भदौरिया ने बताया कि रुस की मायकॉप मेडिकल यूनिवर्सिटी में उनके पढ़ाए हुए कुछ छात्र पढ़ रहे हैं. किन्ही कारणों से उनके मूल लेक्चरर उपलब्ध नहीं हुआ था. जिसके चलते उन भारतीय छात्रों ने विश्वविद्यालय मेनेजमेंट को सत्यभान सिंह भदौरिया के बारे में बताया. जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने सत्यभान सर से संपर्क किया और उन्हें 10 लेक्चर लेने का आग्रह किया.
सत्यभान सर की क्लास में पढ़ते थे 24 छात्र
कोरोना काल और डिस्टेंस लर्निंग के चलते सत्यभान सिंह भदौरिया के लेक्चर ऑनलाइन होते थे. इसके लिए मायकॉप यूनिवर्सिटी की ओर से जूम ऐप लिंक दिया गया. जिससे सत्यभान सर और उनके मेडिकल छात्र जुड़ते थे. PPT प्रेजेंटेशन के अनुसार पूरी क्लास जैव भौतिकी पढ़ती थी. जिसमें वे सिलेबस के अनुसार टॉपिक तैयार करते थे. उनके पढ़ाने का तरीका भी इतना सरल है, कि करीब 24 छात्र उनकी यह ऑनलाइन क्लास अटेंड करते थे.
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फिजिक्स को मेडिकल फील्ड से रिलेट करना बड़ी चुनौती
शिक्षक सत्यभान सिंह भदौरिया बताते है कि क्लास में रशियन छात्रों के अलावा दो भारतीय छात्र और कुछ अरेबियन छात्र भी जुड़ते थे. ऐसे में सभी को पढ़ना भी चैलेंज था. हालांकि इन सभी छात्रों को पढ़ाने के लिए सत्यभान भदौरिया इंटरनेशनल नोन लैंग्विज यानी अंग्रेजी भाषा में अनुवाद करते थे. सत्यभान ने ईटीवी भारत को बताया कि शुरू में जब यह ऑफर आया तो सबसे बड़ा टास्क था सब्जेक्ट. क्योंकि फिजिक्स और बायो फिजिक्स दोनों में काफी अंतर है.
यह एक तरह से शरीर के अंदर फिजिक्स किस तरह काम करती है. लेकिन बड़ा चैलेंज था कि इसे मेडिकल फील्ड से कैसे जोड़ा जाए. ऐसे में उन्हें अपने बेटे से मदद मिली. क्योंकि वह बायोलॉजी का छात्र है. इसलिए टॉपिक्स को तैयार करने में वह भी मदद करता था. वे पहले इंग्लिश में नोट्स तैयार करते थे. जिससे एक PPT बनाते और फिर बच्चों को पढ़ाते थे. यदि किसी छात्र का कॉन्सेप्ट क्लीयर नहीं होता था तो वे उन सवालों के भी जवाब दे कर उसकी समस्या का समाधान करते थे.
दोनों देशों में विज्ञान की पढ़ाई में जमीन अदन का अंतर
भारत और रूस की पढ़ाई में अंतर के बारे में सवाल करने पर उन्होंने कहा कि दोनों जगहों पर सब्जेक्ट का बड़ा अंतर है. भारत में छात्रों को थियोरिटिकल फिजिक्स पढ़ाई जाती है, जबकि रुस में बायोलोजी में अप्लाइड फिजिक्स पर ध्यान दिया जाता है. उनका कहना है कि वे शुरू से ही अप्लाइड साइयन्स के पक्षधर रहे हैं. वे अपने स्कूल में भी छात्रों को जब भी पढ़ाते हैं, तो थ्योरी से हटकर अप्लाइड फिजिक्स बताते हैं.
कानून बनने के बाद कितना मिल रहा है 'शिक्षा का अधिकार' ?
सत्यभान सर के लिए लगाव नहीं जुनून है 'शिक्षा'
सत्यभान सिंह भदौरिया में पढ़ाने का अलग जुनून है. वे हायर सेकेंडरी के छात्रों को तो पढ़ाते ही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि पहली बार स्कूल शिक्षा से हटकर उन्होंने छात्रों को पढ़ाया. इससे पहले भी वे PG छात्रों को और पीएससी, IIT, की तैयारी करने वाले छात्रों को पढ़ा चुके हैं. साथ ही यूटूब पर अपना खुद का चेनल बनाकर उन्होंने कोरोना काल में निःशुल्क शिक्षा दी. अब रुस के मेडिकल छात्रों को भी शिक्षित कर भिंड का नाम रोशन कर रहे हैं. सत्यभान सिंह भदौरिया को मायकॉप विश्व विद्यालय ने कोरोना का प्रभाव खत्म होने के बाद रुस विजिट करने का निमंत्रण भी दिया है.