भिंड।हौसलों के आगे कोई पर्दा नहीं होता, कड़े परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता, दिल में हो जज्बा कुछ कर दिखाने का, तो जलते दिये को भी आंधियों का डर नहीं होता… भिंड के बेटे राजू भदौरिया ने ये कहावत चरितार्थ कर दी है. राजू भदौरिया ने ना सिर्फ भिंड से पेरिस की छलांग लगाई है, बल्कि फ्रांस की राजधानी में भारत को घुड़सवारी में गोल्ड मेडल जिताया है. राजू तो फिलहाल पेरिस में हैं, लेकिन उनके परिवार इस उपलब्धि पर कैसा महसूस कर रहा है. जानिए ETV भारत के साथ…
पहले भारतीय ने घुड़सवारी में जीता गोल्ड: खेल जगत में भारत के बढ़ते कदम आज सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है. हमारे देश के खिलाड़ी अब स्पोर्ट्स के हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं. सबसे महंगे खेलों में से एक घुड़सवारी (इक्वेस्ट्रियन Equestrian) में भी अब भारत का बेटा विदेशों में नाम कर रहा है. हम बात कर रहे हैं राजू भदौरिया की जो हाल ही में पेरिस के ग्रोसबोइस में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय इक्वेस्ट्रियन (घुड़सवारी) चैंपियनशिप 'इवेंटिंग' क्रॉस-कंट्री वन-स्टार वर्ग में अव्वल आकर गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन चुके हैं. उन्होंने यह खेल 23 पेनल्टी के साथ जीता है.
सीएम ने भी दी है ट्वीट कर बधाई: मूल रूप से मध्यप्रदेश के सबसे पिछड़े माने जाने वाले छोटे से जिला भिंड के हरपालपुरा गांव के रहने वाले हैं. उनकी जीत और उपलब्धि के बारे में जानकर परिवार के लोग ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे हैं. जिसकी एक वजह यह भी है की भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले राजू को खुद प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी ट्वीट कर बधाई दी है. राजू का परिवार आज भी अपने छोटे से गांव हरपालपुरा में रहता है.
मामा ने उंगली पकड़ दिखाया था रास्ता: परिवार के लोगों ने बताया कि बचपन से ही उसे अपने मामा की तरह घुड़सवारी का शौक था. चूंकि उसके मामा लोकेंद्र सिंह पहले से ही मध्यप्रदेश खेल एकेडमी इक्वेस्ट्रीयन में कर्मचारी हैं और घोड़ों की देखभाल करते हैं. तो राजू को भी वे गांव के माहौल से दूर पढ़ाई के लिए अपने साथ भोपाल ले गए थे. जहां धीरे-धीरे उसकी रुचि घुड़सवारी में बढ़ गई. इसके बाद एक दिन अचानक कोच की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने इस उभरते सितारे की प्रतिभा को पहचान लिया. इसके साथ ही राजू का इक्वेस्ट्रीयन गेम से नाता जुड़ गया.