मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

बीहड़ के बेटे ने पेरिस में लहराया परचम, घुड़सवारी में राजू ने जीता गोल्ड, परिवार में खुशी की लहर - एमपी न्यूज

मध्यप्रदेश के भिंड के बेटे ने पैरिस में देश का परचम लहराया. 18 साल की उम्र में इक्वेस्ट्रियन में राजू भदौरिया ने गोल्ड मेडल जीता है. ईटीवी भारत से बातचीत में राजू के परिजनों ने जाहिर की खुशी.

18236288
घुड़सवारी में राजू ने जीता गोल्ड

By

Published : Apr 12, 2023, 8:46 PM IST

Updated : Apr 12, 2023, 9:15 PM IST

घुड़सवारी में राजू ने जीता गोल्ड

भिंड।हौसलों के आगे कोई पर्दा नहीं होता, कड़े परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता, दिल में हो जज्बा कुछ कर दिखाने का, तो जलते दिये को भी आंधियों का डर नहीं होता… भिंड के बेटे राजू भदौरिया ने ये कहावत चरितार्थ कर दी है. राजू भदौरिया ने ना सिर्फ भिंड से पेरिस की छलांग लगाई है, बल्कि फ्रांस की राजधानी में भारत को घुड़सवारी में गोल्ड मेडल जिताया है. राजू तो फिलहाल पेरिस में हैं, लेकिन उनके परिवार इस उपलब्धि पर कैसा महसूस कर रहा है. जानिए ETV भारत के साथ…

पहले भारतीय ने घुड़सवारी में जीता गोल्ड: खेल जगत में भारत के बढ़ते कदम आज सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है. हमारे देश के खिलाड़ी अब स्पोर्ट्स के हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं. सबसे महंगे खेलों में से एक घुड़सवारी (इक्वेस्ट्रियन Equestrian) में भी अब भारत का बेटा विदेशों में नाम कर रहा है. हम बात कर रहे हैं राजू भदौरिया की जो हाल ही में पेरिस के ग्रोसबोइस में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय इक्वेस्ट्रियन (घुड़सवारी) चैंपियनशिप 'इवेंटिंग' क्रॉस-कंट्री वन-स्टार वर्ग में अव्वल आकर गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन चुके हैं. उन्होंने यह खेल 23 पेनल्टी के साथ जीता है.

राजू भदौरिया

सीएम ने भी दी है ट्वीट कर बधाई: मूल रूप से मध्यप्रदेश के सबसे पिछड़े माने जाने वाले छोटे से जिला भिंड के हरपालपुरा गांव के रहने वाले हैं. उनकी जीत और उपलब्धि के बारे में जानकर परिवार के लोग ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे हैं. जिसकी एक वजह यह भी है की भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले राजू को खुद प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी ट्वीट कर बधाई दी है. राजू का परिवार आज भी अपने छोटे से गांव हरपालपुरा में रहता है.

मामा ने उंगली पकड़ दिखाया था रास्ता: परिवार के लोगों ने बताया कि बचपन से ही उसे अपने मामा की तरह घुड़सवारी का शौक था. चूंकि उसके मामा लोकेंद्र सिंह पहले से ही मध्यप्रदेश खेल एकेडमी इक्वेस्ट्रीयन में कर्मचारी हैं और घोड़ों की देखभाल करते हैं. तो राजू को भी वे गांव के माहौल से दूर पढ़ाई के लिए अपने साथ भोपाल ले गए थे. जहां धीरे-धीरे उसकी रुचि घुड़सवारी में बढ़ गई. इसके बाद एक दिन अचानक कोच की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने इस उभरते सितारे की प्रतिभा को पहचान लिया. इसके साथ ही राजू का इक्वेस्ट्रीयन गेम से नाता जुड़ गया.

एकलव्य पुरस्कार से सम्मान:राजू की मेहनत भी रंग लायी जल्द ही उसने कई इवेंट्स में अपने खेल का कमाल दिखाकर मेडल्स अपने नाम कर लिए. जिसके लिए साल 2018 में राजू भदौरिया को मध्यप्रदेश सरकार ने एकलव्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया. इसके बाद मुक़ाम आगे बढ़ता गया और राजू का हौसला भी. इसी साल फरवरी में आयोजित हुई एशियन चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफ़ायर इवेंट में अपना उम्दा प्रदर्शन कर उन्होंने इसी वर्ष आयोजित होने वाले एशियन चैंपियनशिप गेम्स 2023 में अपनी जगह पक्की कर दी. वे फिलहाल फ्रांस में हैं और वहीं अपने फ्रेंच कोच के साथ चैंपियनशिप की तैयारी और ट्रेनिंग कर रहे हैं.

राजू भदौरिया

मां बोली- पूरे देश को गर्व तो खुशी क्यों ना हो:ईटीवी भारत ने जब उनकी मां से बात की तो उन्होंने बताया कि, राजू जब 10 वर्ष का था तभी भोपाल चला गया था. वह समय मिलने पर साल में एक या दो बार घर आता है. उसकी उपलब्धि और आज पूरा देश गर्व कर रहा है. यह देख कर बहुत ख़ुशी होती है. उन्होंने बताया कि बेटा भले ही बीहड़ से निकल कर आज विदेश पहुंच गया, लेकिन उसका परिवार आज भी गांव में खेती कर एक सामान्य जीवन जीते हैं. उन्हें अच्छा लगता है, जब लोग उनके बेटे की तारीफ़ करते हैं. वहीं राजू के दादा ऊदल सिंह एक रिटायर्ड फौजी हैं, जिन्होंने साल 1956 में पाकिस्तान बॉर्डर अटारी पर कुछ वर्ष तक अपनी सेवाएं दी थी. वे कहते हैं कि बड़े फक्र की बात है की देश के लीडर राजू को विदेश लेकर कर गए, उसने इसके लिए मेहनत कर देश भक्त होने का फर्ज निभाया है. जब राजू घर आता है तो पूरा गांव इकट्ठा हो जाता है. उन्हें अपने पोते को पैरिस में मिले गोल्ड मेडल की जानकारी मिली तो बहुत खुश हुए. वे उसके उज्वल भविष्य की कामना करते हैं.

कुछ खबरें यहां पढ़ें

एशियन चैंपियनशिप में भारत का करेंगे प्रतिनिधित्व: एक छोटी सी उम्र में राजू ने वह कर दिखाया, जिसे करने के लिए कई बार बड़े बड़े दिग्गज खिलाड़ी भी पूरी ज़िंदगी गुजार देते हैं. महज 18 वर्ष की उम्र में राजू भदौरिया का इक्वेस्ट्रीअन गेम में प्रदर्शन लाजवाब है. पैरिस में भारत को गोल्ड जिताने के बाद अब उनका पूरा फोकस एशियन चैंपियनशिप पर है. जिसके लिए जी तोड़ मेहनत भी वे कर रहे हैं.

Last Updated : Apr 12, 2023, 9:15 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details