भिंड। अगले साल 2023 में विधानसभा के आम चुनाव होने जा रहे हैं, लेकिन उससे पहले ही भिंड जिले में छठे विधानसभा क्षेत्र की मांग उठने लगी है. सालों पहले जिस रौन क्षेत्र से विधानसभा का दर्जा वापस ले लिया गया था. वहां के लोग अब रौन को विधानसभा क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि रौन आज शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से पिछड़ गया है, इसलिए जरूरी है कि रौन इलाके को विस क्षेत्र बनाया जाए. Bhind Political News, mp assembly election 2023
रौन को विस क्षेत्र घोषित करे सरकार: राजनीति के क्षेत्र में बदलाव लगातार चलते रहते हैं. लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए नए क्षेत्रों का गठन भी समय समय पर होता रहता है. सरकारें कभी प्रदेश तो कभी जिले तो कभी नवीन विधानसभा क्षेत्रों की सौगात जनता को देती ही हैं. ज़्यादातर मामलों में दौर चुनावी होता है, साल 2000 में भी बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड को अलग राज्य बनाने की मांग केंद्र के दबाव में बिहार को माननी पड़ी थी. चाहे मध्यप्रदेश से छतीसगढ़ से अलगाव ठीक उसी तरह से जिलों और विधानसभाओं का गठन भी चुनावी मुद्दे बने हैं. मध्यप्रदेश के भिंड जिले में वैसे तो वर्तमान में भिंड, लहार, अटेर, मेहगांव और गोहद पांच विधानभवन क्षेत्र हैं, लेकिन अब जिले में भी छठवे विधानसभा क्षेत्र की मांग तेज हो रही है. लोग चाहते हैं की सरकार रौन इलाके को विस क्षेत्र घोषित किया जाए.
रौन विधानसभा क्षेत्र की मांग पहली बार 1962 में अस्तित्व में आई थी रौन विधानसभा क्षेत्र: ऐसा नहीं है कि भिंड में छठवीं विधानसभा नई बात होगी या रौन पहली बार विधानसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाएगा. दरअसल मध्य भारत से मध्यप्रदेश बनने के बाद 1957 में भिंड जिले ने 5 विधानसभा क्षेत्र की अगुवाई की थी, लेकिन ठीक अगले आम चुनाव यानी 1962 के विधानसभा चुनाव के दौरान जिले में छठवें विधानसभा क्षेत्र के रूप में रौन क्षेत्र अस्तित्व में आया था और पहले विधायक राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के महादेव सिंह बने थे.
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20 वर्ष पहले हटाया गया था नाम: राजनीतिक जानकार बताते हैं कि क़रीब 41 वर्षों तक इस क्षेत्र का नाम विधानसभा लिस्ट में जुड़ा रहा, लेकिन साल 2003 के परिसीमन में रौन विधानसभा क्षेत्र खत्म कर दिया गया. इन दिनों भिंड जिले के रौन तहसील में इस इलाके को पूर्व की तरह ही विधानसभा क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं.
रौन विधानसभा क्षेत्र की मांग पिछड़ गया क्षेत्र, विकास के लिए जरूरी कदम: क्षेत्र के समाजसेवी बलराज सिंह राजावत का कहना है कि एक तरफ देश प्रदेश में नई विधानसभा और जिले बनाए जा रहे हैं. वहीं भिंड का दुर्भाग्य है कि कभी यहां छह विधानसभाएं हुआ करती थी. लेकिन परिसीमन के बदलाव से एक विधानसभा ख़त्म कर दी गई. रौन विधानसभा क्षेत्र को खत्म हुए करीब 20 वर्ष हो चुके हैं, यह क्षेत्र आज शिक्षा स्वास्थ्य से लेकर सभी मूलभूत सुविधाओं से पिछड़ा हुआ है. इस क्षेत्र के विकास के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि एक बार फिर सरकार रौन विधानसभा क्षेत्र को वापस अस्तित्व में लाए.
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चुनाव आयोग करता है विधानसभा क्षेत्र का गठन-पुनर्गठन: वर्तमान में रौन क्षेत्र जिले की मेहगांव और लहार दोनों विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. ऐसे में मेहगांव से विधायक और प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं आवास राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया से भी इस संबंध में चर्चा की गई, जिस पर मंत्री ने कहा कि मेरे संज्ञान में अब तक ऐसी कोई बात नहीं है यदि लोगों की मांग है तो निरीक्षण कराया जाएगा. हालांकि चुनाव आयोग पर निर्भर करता है क्योंकि समय-समय पर आयोग परिसीमन कर विधानसभाओं का गठन पुनर्गठन करता है, जो भी कानूनी प्रक्रिया होती है उसे पूरा किया जाता है. (Bhind Political News) (mp assembly election 2023) (Raun assembly constituency demand)