भिंड।जिले में बीते 8 वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत करीब दस हजार से अधिक हितग्राहियों को आवास स्वीकृत हुए और 45 फीसदी बनकर आवंटित भी हो चुके हैं. जिनमें अकेले भिंड नगर पालिका क्षेत्र में समय समय पर कार्यक्रम आयोजित कर 2174 हितग्राहियों को स्वीकृत आवास के प्रमाण पत्र जारी किए गए. अब तक यहां 785 हितग्राहियों को आवास योजना का लाभ मिल चुका है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण भिंड नगर पालिका क्षेत्र के ग्राम रतनुपुरा पर बसाई गई प्रधान मंत्री आवास कॉलोनी है. जहां केंद्र की इस महत्वपूर्ण योजना के तहत करीब 400 मकान आवंटित कर चार साल पहले हितग्राहियों को सुपुर्द किए जा चुके हैं.
चार साल बाद भी कॉलोनी में रहते हैं सिर्फ 20 फीसदी लोग:पीएम आवास कॉलोनी 2018 में बसाई गई थी. यहां बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं को विकसित किया गया और एक आदर्श कॉलोनी के रूप में बसाया गया. लेकिन ईटीवी भारत की ताजा पड़ताल में यह जानकारी सामने आयी कि पीएम आवास कॉलोनी में 70 फीसदी से ज़्यादा मकान आज भी खाली हैं. यहाँ हितग्राहियों ने खुद रहने की जगह अपने आवासों में ताले लटका दिये हैं. इस बात की परख करने जब ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा तो जानकारी का दावा हकीकत निकला. पूरी कॉलोनी में मुश्किल से 80-90 परिवार ही रह रहे थे. अन्य मकानों पर सिर्फ ताले थे. यहां आवास पर लगे बिजली के मीटर से लेकर आवासों की हालत तक बता रही थी कि इन घरों में कोई वर्षों से नहीं रहा.
पीएम आवास बने तबेला: कुछ आवास तो ऐसे मिले जिनमें बाहर से ताला जड़ा था और अंदर गोदाम के रूप में इन्हें इस्तेमाल किया जा रहा था. कहीं वर्षों से अधूरा कंस्ट्रक्शन था तो कई घरों को लोगों ने अपने पालतू मवेशियों का तबेला बना रखा था. आस पड़ोस के लोग तो विवाद के डर से बोलने को तैयार नहीं थे फिर भी इन हालातों की पुष्टि इसी कॉलोनी में रहने वाली एक हितग्राही महिला पुष्पा ने की. जब हमने उनसे इन खाली मकानों के संबंध में सवाल किया तो उन्होंने बताया कि उनके घर के सामने का आवास किसी मुस्लिम परिवार को आवंटित किया गया था. लेकिन वे लोग ना तो यहां रहते हैं और ना ही इसका इस्तेमाल करते हैं. आवास पर ताला लगा दिया है यदि कभी कोई ताले की चाबी मांगे भी तो मन कर देते हैं. जब हमने पूछा कि वे हितग्राही कहां रहते हैं तो महिला ने बताया कि यहाँ ज्यादातर आवास आवंटित होने के बाद भी लोग भिंड शहर में रह रहे हैं. कई अपने आवास को किराए पर दिए हैं या ताला जड़े हैं. सभी सुविधाऐं होने के बाद भी लोग यहां आने को तैयार नहीं हैं.
आज भी सड़क किनारे झुग्गियों में बसे परिवार: जहां आवास आवंटित होने के बाद भी हितग्राही इनका उपयोग नहीं कर रहे. वहीं, शहर में एक तबका ऐसा भी है जो मौसम और गरीबी की मार से परेशान हैं. लोहपीटा समाज के 50 से अधिक परिवार आज भी बाइपास पर रोड किनारे झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे हैं. इनमें कई परिवारों को पीएम आवास स्वीकृत भी हो चुके हैं और जमीन भी आवंटित हो गई है लेकिन पीएम आवास की किस्त ना आने से मकान आज भी अधूरा है. ऐसे में वे योजना का लाभ मिलने के बाद भी सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं. वहीं, दो दर्जन परिवार ऐसे हैं जिन्हें अब भी पीएम आवास स्वीकृति का इंतेजार हैं. इन लोगों का कहना है कि ''कई बार नगर पालिका में आवेदन कर पूछताछ के लिए जाते हैं लेकिन हर बार जल्द स्वीकृति का आश्वासन थमा दिया जाता है.