भिंड। चम्बल अंचल का भिंड खनिज सम्पदा से सम्पन्न है, लेकिन जल स्तर के मामले में ज़िले के हालत बिगड़ते जा रहे हैं. बीते 10 सालों में भिंड का जल स्तर 38 फ़ीट तक नीचे जा चुका है. जो आने वाले समय में बड़े संकट की आहट है.
38 फीट नीचे गिर गया पानी
चम्बल, सिंध, क़्वारी सहित क़रीब दर्जन भर सहायक नदियों से घिरा होने के बावजूद भिंड ज़िला धीरे धीरे सूखे की ओर बढ़ रहा है. पानी की बर्बादी और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता की कमी यहां सूखे के रूप में खतरनाक रूप लेता जा रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि बीते 10 सालों में क़रीब 38 फ़ीट तक जलस्तर में गिरावट आ चुकी है.
पीएचई विभाग के मुताबिक़ अभी ज़िले का एवरेज जलस्तर क़रीब 125 फ़ीट है. हालांकि ज़िले के हर इलाक़े में जल स्तर अलग अलग होता है. गोहद की बात की जाए तो यहां जल स्तर दो अलग अलग बेल्ट में मापा जाता है. पहला बेल्ट चन्दोखर, राय की पाली है. जहां जल स्तर 80 से 100 फ़ीट है. जबकि गोहद का ही मौ- मेहगांव बेल्ट पर जल स्तर 100-125 तक है. मेहंगाव और लहार विधानसभाओं में भी जल स्तर 80 से 100 फ़ीट तक है. लेकिन अटेर और भिंड ज़िले में जल स्तर में ज़्यादा गिरावट आती जा रही है. नदियों के किनारे लगे इलाक़ों में भी जल स्तर 60 फ़ीट है. जो हैरान करता है.
अतिक्रमण और जल संरक्षण का अभाव है समस्या की जड़
लगातार जल स्तर में गिरावट के पीछे कई वजह हैं. एक है तालाबों पर अतिक्रमण और दूसरा है बारिश के पानी का बह जाना. भिंड ज़िले में सरकार की मंशा अनुसार हर ग्राम पंचायतों में तालाब बनाए गए हैं. जिससे जल संचय किया जा सके. लेकिन तालाबों की अनदेखी और दबंगों द्वारा कई तालाबों पर अतिक्रमण के चलते बारिश का पानी तालाबों में इकट्ठा नहीं होता. दूसरी बड़ी वजह है बारिश के पानी का संरक्षण नहीं हो पाना. मौसम में बदलाव के चलते भिंड ज़िले में बारिश कम रहती है, इस बार अच्छी बारिश हुई, लेकिन बारिश के पानी की उचित निकासी व्यवस्था नहीं होने से वह नालियों और गंदे नलों से होते हुए नदियों में चला जाता है. जिसकी वजह से वह ज़मीन तक वापस नहीं पहुंच पाता .