भिंड।चंबल अंचल का भिंड जिला खनिज संपदा के मामले में संपन्न है. रेत हो या पत्थर, दोनों की ही यहां भरमार है. इनकी डिमांड भी पूरे प्रदेश में है. भिंड के गोहद क्षेत्र को प्रकृति ने निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाले काले और सफेद दोनों तरह के ही पत्थरों की सौगात से नवाजा है. यही वजह है कि खनिज विभाग ने गोहद में दर्जन भर से अधिक पत्थर खदानों की स्वीकृति अलग-अलग एजेंसियों को दी है. लेकिन यही पत्थर अब खदानों के नजदीक बने रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं.
यह है ग्रामीणों में दहशत की वजह:ग्रामीणों में दहशत की वजह और ग्राउंड जीरो के हालात जानने के लिए ETV Bharat ने गोहद का रुख किया. डांग पहाड़िया पर स्थित दिलीप सिंह का पुरा गांव और नाके का पुरा गांव में जब हम पहुंचे तो यहां के हालात बेहद चिंताजनक नजर आए. यहां पहाड़ तो खत्म हो ही चुका है, खदानों से पत्थर निकाले जाने की वजह से तालाब नुमा बड़े-बड़े गड्ढे भी हो गए हैं. कई खदानों से तो इतना पत्थर निकाला जा चुका है कि ये गड्ढे 100 मीटर चौड़े और 100 फीट तक गहरे हैं. आलम यह है कि इन गड्ढों में अगर कोई गिरे तो उसका शव तक नहीं बचेगा. ऐसी जानलेवा खदानों के पास ये दोनों गांव बसे हैं, जहां कई क्रेशर भी लगे हैं. चिंता की बड़ी वजह इन खदानों से पत्थर निकालने वाली प्रक्रिया है, क्योंकि यहां पत्थर तोड़ने के लिए ब्लास्टिंग की जाती है.
धमाकों से आई दरारें:दिलीप सिंह का पुरा गांव में बनी सरकारी स्कूल की बिल्डिंग खदानों में ब्लास्टिंग की वजह से जर्जर हो रही है. स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक लोकेंद्र सिंह जादौन ने बताया, "स्कूल बिल्डिंग के पास ही पत्थर की खदान और क्रेशर दोनों लगे हुए हैं. यहां जब भी खदान शुरू होती है, ब्लास्टिंग होने लगती है. जिसकी वजह से पूरे स्कूल में कंपन होता है. बिल्डिंग में कई जगह इसकी वजह से दरारें तक आ चुकी हैं." शिक्षक अमृतलाल पवैया का कहना है, "पत्थर खदानों में माइनिंग की कोई टाइमिंग निश्चित नहीं है. कई बार स्कूल में पढ़ाई के समय भी ब्लास्टिंग होती है. ऐसे में जब स्कूल में कंपन होता है तो बच्चे डर जाते हैं. सरपंच से इस बारे में चर्चा कर बात आगे पहुंचाने को कहा जा चुका है. लेकिन सुनवाई न होने की वजह से हालात अब भी जस के तस हैं. कई बच्चे माइनिंग और ब्लास्टिंग की वजह से ही स्कूल नहीं आ पाते हैं."
गिर रहीं घरों की दीवारें:दिलीप सिंह का पुरा गांव के सरकारी स्कूल के हालात जानने के बाद हमने खदान के पास बसे नाके के पुरा गांव जाने का फैसला लिया. यहां ग्रामीणों से बात करने पर पता चला कि पत्थर खदानों में अक्सर होने वाली ब्लास्टिंग की वजह से पूरा गांव दहशत में रहता है. कई लोगों के कच्चे मकान माइनिंग और ब्लास्टिंग की वजह से कमजोर हो चुके हैं. कई मकानों की कच्ची दीवारें तक गिर चुकी हैं.