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भिंड में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का हाल, बीते 8 महीनों में हर तीसरे दिन एक मासूम ने गंवाई जान - Bhind News

भिंड में नवजातों की मौतों के चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. बीते 8 महीनों में SNCU में भर्ती हुए बच्चों में 7 फीसदी से ज्यादा नवजातों की मौत हो चुकी है.

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Published : Dec 5, 2020, 3:09 AM IST

भिंड। जब एक बच्चे का जन्म होता है, तो उसके परिवार में खुशियों की लहर होती है. आगन किलकारियों से गूंज उठता है. लेकिन ये जीवन के प्रतीक अगर शुरू होने से पहले ही दम तोड़ दें, तो सोचिए यह खबरें क्या दिल को झकझोर देने के लिए काफी नहीं हैं. भिंड में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है. बीते 8 महीनों में SNCU में भर्ती हुए बच्चों में 7 फीसदी से ज्यादा नवजातों की मौत हो चुकी है. नवजातों की मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

इस साल मौत के आंकड़े

प्रसव बाद कई बार नवजात बच्चों की हालात खराब हो जाती है. इन्फेक्शन व अन्य बीमारियों के चलते उन्हें एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया जाता है.स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक भिंड जिले में इस साल 1 अप्रैल 2020 से 30 नवम्बर 2020 तक एसएनसीयू वार्ड में 1406 बच्चों को भर्ती कराया गया है. जिनमें से 126 बच्चों को अन्य जिलों और राज्यों में रैफर किया गया. इनमें 103 बच्चों ने दम तोड़ दिया.ये संख्या भर्ती हुए बच्चों की 7.32 फीसदी है.

मौत की वजह

नवजातों की मौत की मुख्य वजह

भिंड जिले में हुई नवजात शिशुओं की मौत की कई कारण हैं. जिनमें सबसे ज्यादा 42 मौतें नवजात के जन्म के बाद सांस लेने में तकलीफ की वजह से हुई.वहीं 26 बच्चों ने HIE/ Moderate-Severe Birth Asphyxia यानि नवजात के शरीर में ऑक्सीजन की कमी मौत की वजह बनी. 8 नवजात बच्चों की मौत अतिकम वजन (Prematurity) की वजह से हुई. 4 बच्चों ने (Major Congenital Malformation) जन्मजात बीमारियों की वजह से दम तोड़ दिया. 3 बच्चों की मौत सेप्सिस (Sepsis) नाम की बीमारी से हुई. जो एक तरह का ब्लड इन्फेक्शन होता है. 2 बच्चों की मौत निमोनिया (Pneumonea) की वजह से हुई. वहीं 1 बच्चे ने मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम (Meconium Aspiration Syndrome) नाम की बीमारी की वजह से जान गंवाई. इसके अलावा 15 बच्चों की मौत अन्य कारणों से हुई है.

SNCU में भर्ती हुए नवजातों की संख्या

पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार

बीते 8 महीनों में जिले में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ती नजर आ रहीं हैं. क्योंकि लाख कोशिशों के बाद भी भिंड जिले में नवजात शिशुओं की मौत के आंकड़े कम नहीं हो रहे हैं. ऐसे में देखा जाए तो एसएनसीयू में भर्ती होने वाले 7.32 प्रतिशत बच्चों का जीवन शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया है. जो बेहद दुखद है. लेकिन संसाधनों और डॉक्टर्स की कमी भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं. ऐसे में सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस ओर ध्यान देंने की सख्त जरूरत है.

प्रदेश में शिशु मृत्यु दर ज्यादा

मध्यप्रदेश में तमाम कोशिशों के बाद शिशु मृत्यु दर घटने का नाम नहीं ले रही है. रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया कि पिछले दिनों जारी रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर 47 से बढ़कर 48 हो गई है. यानी 1000 जीवित बच्चों में से 48 बच्चों की मौत साल भर में ही हो जाती है. राज्य में ग्रामीण इलाकों में शिशु मृत्यु दर 52 और शहरी क्षेत्र में 36 फीसदी है. शिशु मृत्यु दर के मामले में मध्यप्रदेश टॉप पर है. मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ में मृत्यु दर सबसे ज्यादा है.

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