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पिता की आंखों के सामने सिंध नदी में समा गए बच्चे! तीन दिनों से चल रहा सर्चिंग अभियान - सिंध नदी में सर्चिंग ऑपरेशन

हिलगंवा गांव में नाव पलटने से (Bhind Boat Accident) डूबे बच्चों का अब तक सुराग नहीं लग सका है. दोनों बच्चे पिता की आंखों के आगे सिंधु नदी में समा गए और वो उन्हें बचा नहीं पाये, जबकि अन्य तीन लोगों को बचाने में कामयाब रहे.

boat capsizes in sindh river
भिंड नाव हादसा

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Published : Feb 1, 2022, 3:01 PM IST

भिंड। हिलगंवा गांव में नाव पलटने से लापता बच्चों का (Bhind Boat Accident) अब तक सुराग नहीं लग सका है. पुलिस, प्रशासन, होम गार्ड और एसडीआरएफ की टीम सर्च ऑपरेशन में जुटी है. शुक्रवार की शाम बच्चों से भरी एक नाव सिंध नदी में डूब गई थी, हादसे के वक्त नाव में करीब 12 लोग सवार थे. ग्रामीणों ने 10 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया था, लेकिन दो बच्चे अब तक लापता हैं. परिजनों को बच्चों के जिंदा मिलने की उम्मीद नहीं है, पर शव मिलने का ही इंतजार कर रहे हैं.

नाव पलटने से डूबे दो बच्चों का अब तक नहीं लगा सुराग

तीन दिन से जारी है सर्च ऑपरेशन

रौन-नयागांव पुलिस के साथ SDRF और होमगार्ड की टीमें लगातार सर्चिंग कर रही हैं. तीन दिन गुजरने के बाद भी दोनों बच्चों का अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है. सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक सिंध नदी का 10 किलोमीटर तक का क्षेत्र खंगाला जा रहा है. सिंध से लगे उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को भी अलर्ट किया गया है, ताकि यदि बच्चों के शव यूपी पहुंचे तो भी जानकारी मिल जाए. कलेक्टर-एसपी सहित लहार विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह और कई जनप्रतिनिधि भी घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं.

पिता की आंखों के सामने डूबे मासूम

बच्चों को सिंध नदी में डूबे तीन दिन बीत गए हैं. लापता बच्चों में मिर्जापुर उत्तर प्रदेश का निवासी ओम भी शामिल है. ओम के पिता ने बताया कि उनका 10 साल का बेटा उनकी आंखों के सामने ही नदी में समा गया और वे उसे बचा भी नहीं सके. 16 वर्षीय द्रोपदी के पिता तो घटना के वक्त नदी के किनारे पर मौजूद थे, जब उन्होंने देखा कि नाव डूब रही है तो वह लोगों को बचाने के लिए नदी में उतर गए और तीन लोगों को बचा लिये, लेकिन अपनी बेटी को नहीं बचा सके.

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अस्थायी पुल होता तो नही होता हादसा

स्थानीय लोगों की मानें तो अस्थायी पुल होता तो ऐसी घटना नहीं होती. पिछली बरसात में सिंध नदी में आए सैलाब से टेहनगुर पुल बह गया था. उसके बाद भी कोई कच्चा या अस्थाई पुल नहीं बनाया गया. ऐसे में ग्रामीण जान दांव पर लगाकर नाव के सहारे नदी पार करते हैं. जो नाव नदी पार करने के लिए उपयोग हो रही थी, वह सिर्फ 5-6 लोगों का वजन उठा सकती थी, लेकिन इस पर बच्चों सहित 12 लोग सवार हो गए. जिसका नतीजा ये हुआ कि नाव ही डूब गयी.

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