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डकैतों का इतिहास सुनाएगा भिंड का अनोखा म्यूजियम

डाकुओं की घाटी के नाम से मशहूर चंबल के डाकूओं के इतिहास को अब लोग जान पाएंगे. भिंड पुलिस जिले में देश का ऐसा अनोखा म्यूजियम बनाने की तैयारी में जुटी है, जो कि डैकतों के इतिहास से रूबरू कराएगी.

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अब सुनाई देगा डकैतों का इतिहास

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Published : Jan 3, 2021, 9:06 PM IST

Updated : Jan 3, 2021, 11:10 PM IST

भिंड।मध्य प्रदेश में अब लोग अपराध की दुनिया में मशहूर रहे शख्सियतों को जान पाएंगे. डैकतों के इतिहास से रूबरू हो पाएंगे. क्योंकि भिंड जिले में एक ऐसा म्यूजियम बनने वाला है, जो चंबल के डकैतों का इतिहास सुनाएगा. उनकी गाथाएं बताएगा. ये पहल भिंड पुलिस की है. और इस म्यूजियम को बनाने का उद्देश्य अपराध की दुनिया में कदम रखने वालों को सबक सिखाना है.

अब सुनाई देगा डकैतों का इतिहास

किया गया जगह का चयन

चंबल में बागी दस्युओं के खात्मे और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटाने की कहानी को संग्रहालय के जरिए बताने की तैयारी की जा रही है. इस म्यूजियम के लिए जिले में थाना का भी चयन कर लिया गया है. ब्रिटिश काल में बनाया गया मेहगांव थाने में ये अनोखा म्यूजियम बनेगा. मेहगांव कुख्यात दस्यु रहे पूर्व दस्यु स्वर्गीय मोहर सिंह का निवास गांव है. ऐसे में अब ब्रिटिश काल में बनाए गए थाना परिसर को हेरिटेज लुक में सजाया-संवारा जाएगा.

मेहगांव थाने का हुआ चयन

अपराधियों को संदेश देने बनेगा अनोखा संग्रहालय

80 के दशक में चंबल क्षेत्र की पहचान कुख्यात डाकुओं की घाटी से बन गई थी. आए दिन यहां अपहरण, लूट, डकैती हत्याओं जैसी वारदातों को बागी और डाकू अंजाम देते थे. लेकिन समय के साथ-साथ हालत बदले. डकैत या तो मारे गए या आत्मसमर्पण कर समाज से जुड़ गए. ऐसे में चंबल क्षेत्र में में डकैतों का आतंक खत्म होने के बाद अब भिंड पुलिस डकैतों का एक संग्रहालय बनाने जा रही है. जिसका उद्देश्य अपराधों की दुनिया में कदम रखने वालों को सबक सिखाना और संदेश देना है.

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मिलेगी डकैतों की शुरू से अंत की कहानी

इस संग्रहालय में साल 1960 से लेकर 2011 तक चंबल इलाके में सक्रिय रहे दस्युओं की पूरी हिस्ट्रीशीट, फोटो, गिरोह के सदस्यों की पूरी जानकारी और उनके अंत तक की कहानी बताई जाएगी. साथ ही उनके हथियारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा. चंबल में 1980 से लेकर 90 तक कई दस्युओं ने आत्मसमर्पण किया था. इनमें फूलन देवी, घंसा बाबा, मोहर सिंह, माधौ सिंह प्रमुख डकैत थे. समर्पण के बाद इन दस्युओं ने सजा भी काटी और रिहा होने के बाद समाज की मुख्यधारा में लौटे थे. जिनकी पूरी कहना यहां जानने को मिलेगी. इसके अलावा उन बलिदानी पुलिसकर्मीयों और अधिकारियों में किस्से भी बताए जाएंगे, जिन्होंने खुद को आगे कर इनकी गोलियों का सामना किया था.

हथियारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा

निर्माण के लिए जनभागीदारी से भी जुटेगा फंड

म्यूजियम निर्माण के लिए राशि जनभागीदारी और पुलिस फंड के जरिए जुटाई जाएगी. पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि जिले में गन वॉयलेंस एक बड़ी समस्या है. अपराधी बंदूक उठाने से पहले भविष्य में उसके नतीजों के बारे में नहीं सोचते हैं. इस म्यूजियम के जरिए लोगों को भी अपराध करने और अपराधियों से जुड़ने के फैसले पर दोबारा सोचने का मौका और सबक मिलेगा.

Last Updated : Jan 3, 2021, 11:10 PM IST

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