भिंड।अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जारी हैं. पूरा देश देश भक्ति में डूबा हुआ है. 22 जनवरी को भगवान राम अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं. इस अलौकिक दृश्य को देखने की ललक हर सनातनी की है. इस मौके पर हम बात करेंगे भिंड के उस कारसेवक के बारे में जिनका महत्वपूर्ण योगदान राम मंदिर के निर्माण में है. वह कारसेवा के दौरान मौत का शिकार हो गए थे. इनका नाम था पुरुषोत्तम सिंह गुर्जर उर्फ़ पुत्तु बाबा. पुत्तु बाबा उन कारसेवकों के जत्थे में शामिल थे, जो 1992 में विवादित ढाँचा ढहाने अयोध्या गया था. 70 साल के पुत्तु बाबा इसी ढाँचे के मलबे में दब गए. अब पुत्तु बाबा के बेटे उत्तर प्रदेश में जाकर बस गये लेकिन परिवार अब भी भिंड ज़िले के डांग छेंकुरी गाँव में रहता है.
सरकारी नौकरी छोड़ी, राम भक्त बने :पुरुषोत्तम गुर्जर यानि पुत्तु बाबा के नाती यशपाल गुर्जर ने बताया कि पुत्तु बाबा संन्यासी होने से पहले शासकीय सेवक थे, लंबे समय तक सरकारी नौकरी करने के बाद उन्होंने भगवान की आस्था में संन्यासी जीवन व्यतीत किया था. वे गाँव के बाहर बने एक मंदिर पर रहा करते थे. बाद में मेहगांव बस गये. वहीं से कारसेवा के लिए अयोध्या गये लेकिन कभी वापस नहीं आये. पुत्तु बाबा के भतीजे प्रताप सिंह गुर्जर क़रीब 55 साल के हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि जब कारसेवा के लिये बुलावा आया था तो उनके चाचा पुत्तु बाबा सभी से घर मिलने आये थे. उन्होंने कहा था कि राम के काज का बुलावा आया है. वे अब तभी लौटेंगे जब भगवान राम मंदिर में स्थापित हो जाएगा. ".
जत्थे के प्रमुख ने बताया आंखों देखा हाल :पुत्तु बाबा के परिजन ने उनकी याद में एक छोटा सा चबूतरा बना दिया है, जहां पूजा अर्चना भी होती है. लेकिन इस परिवार की इच्छा है कि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के समय उनके परिवार को बुलाया जाए. साथ ही सरकार पुत्तु बाबा के नाम का एक छोटा सा स्मारक बनवा दे. पुत्तु बाबा के परिवार के अलावा कारसेवा जत्थे का प्रमुख बनाए गए कमलेश जैन भी विवादित ढांचे के गिरने के साक्षी हैं. उन्होंने आंखोदेखी सुनाई.