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भिंड जिले के कारसेवकों के जत्था प्रमुख से सुनिए मंदिर आंदोलन की आंखोंदेखी

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 16, 2024, 3:16 PM IST

अयोध्या के राम मंदिर में भिंड जिले का भी महत्वपूर्ण योगदान है. साल 1992 में जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया तो उसमें भिंड के कारसेवक पुत्तु बाबा पुरषोत्तम सिंह गुर्जर की भी मौत हो गई थी. उस समय को पूरा आंखोंदेखा हाल बता रहे हैं उनके साथी कारसेवक व उनके परिजन. ETV भारत संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव की ये खास रिपोर्ट ...

Bhind group of karsevak
कारसेवकों के जत्था प्रमुख से सुनिए मंदिर आंदोलन की आंखोंदेखी

कारसेवकों के जत्था प्रमुख से सुनिए मंदिर आंदोलन की आंखोंदेखी

भिंड।अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जारी हैं. पूरा देश देश भक्ति में डूबा हुआ है. 22 जनवरी को भगवान राम अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं. इस अलौकिक दृश्य को देखने की ललक हर सनातनी की है. इस मौके पर हम बात करेंगे भिंड के उस कारसेवक के बारे में जिनका महत्वपूर्ण योगदान राम मंदिर के निर्माण में है. वह कारसेवा के दौरान मौत का शिकार हो गए थे. इनका नाम था पुरुषोत्तम सिंह गुर्जर उर्फ़ पुत्तु बाबा. पुत्तु बाबा उन कारसेवकों के जत्थे में शामिल थे, जो 1992 में विवादित ढाँचा ढहाने अयोध्या गया था. 70 साल के पुत्तु बाबा इसी ढाँचे के मलबे में दब गए. अब पुत्तु बाबा के बेटे उत्तर प्रदेश में जाकर बस गये लेकिन परिवार अब भी भिंड ज़िले के डांग छेंकुरी गाँव में रहता है.

सरकारी नौकरी छोड़ी, राम भक्त बने :पुरुषोत्तम गुर्जर यानि पुत्तु बाबा के नाती यशपाल गुर्जर ने बताया कि पुत्तु बाबा संन्यासी होने से पहले शासकीय सेवक थे, लंबे समय तक सरकारी नौकरी करने के बाद उन्होंने भगवान की आस्था में संन्यासी जीवन व्यतीत किया था. वे गाँव के बाहर बने एक मंदिर पर रहा करते थे. बाद में मेहगांव बस गये. वहीं से कारसेवा के लिए अयोध्या गये लेकिन कभी वापस नहीं आये. पुत्तु बाबा के भतीजे प्रताप सिंह गुर्जर क़रीब 55 साल के हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि जब कारसेवा के लिये बुलावा आया था तो उनके चाचा पुत्तु बाबा सभी से घर मिलने आये थे. उन्होंने कहा था कि राम के काज का बुलावा आया है. वे अब तभी लौटेंगे जब भगवान राम मंदिर में स्थापित हो जाएगा. ".

जत्थे के प्रमुख ने बताया आंखों देखा हाल :पुत्तु बाबा के परिजन ने उनकी याद में एक छोटा सा चबूतरा बना दिया है, जहां पूजा अर्चना भी होती है. लेकिन इस परिवार की इच्छा है कि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के समय उनके परिवार को बुलाया जाए. साथ ही सरकार पुत्तु बाबा के नाम का एक छोटा सा स्मारक बनवा दे. पुत्तु बाबा के परिवार के अलावा कारसेवा जत्थे का प्रमुख बनाए गए कमलेश जैन भी विवादित ढांचे के गिरने के साक्षी हैं. उन्होंने आंखोदेखी सुनाई.

ग्रुप में 100 कारसेवक :"दिसम्बर 1992 में कारसेवा के लिये बुलावा आया. भिंड ज़िले से क़रीब एक हज़ार कारसेवक भिंड के मेला ग्राउंड में इकट्ठा हुए. क़रीब 200 लोग मेहगांव के शामिल हुए थे. यहाँ अलग अलग जत्थे बनाये गये हर जत्थे में 100 लोग थे. पुत्तु बाबा भी उनके दल का हिस्सा थे. उनके साथ कुछ कारसेवक राजगढ़ और अन्य ज़िले के भी थे. सभी 2 दिसंबर को इटावा के रास्ते रेल से अयोध्या के लिये रवाना हुए. 3 दिसम्बर को सभी कारसेवक अयोध्या पहुँचे. इसके बाद सभी को कारसेवा के काम सौंप दिये गये. उन लोगों को सरयू से बालू लेकर इकट्ठा होना था."

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मलबे में दब गए पुत्तू बाबा :"इसी बीच अचानक कुछ और मलबा भी गिरने लगा, जिसमें गुंबद के शिखर का एक बड़ा हिस्सा पुत्तु बाबा के ऊपर गिरा. जिसमें दबने से वे घायल हो गये उन्हें तुरंत निकाल कर एंबुलेंस के ज़रिए फैजाबाद ले जाया गया. इसी दौरान अयोध्या में दंगे हो गये. 7 दिसम्बर को उनके साथ गए लोग पुत्तु बाबा के पार्थिव देह के साथ लौटे. सभी लोग कारसेवकपुरम में एकत्र हुए और यहाँ अशोक सिंहल समेत सभी लोगों उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद उनका अंतिम संस्कार भी कारसेवकों द्वारा सरयू के किनारे किया गया. उनके अस्थिकलश के साथ कारसेवक वापस घर लौटे और ढाँग छेंकुरी गाँव में पहुँच कर उनके परिवार को अस्थियाँ सौंपी थी."

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