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चंबल-अंचल में संतों के सहारे BJP, चुनाव से पहले धार्मिक सियासत, 30 जनवरी से संत समागम

जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, चंबल में आस्था का जमावड़ा लगने लगा है. चंबल अंचल को साधने के लिए बीजेपी संतों का सहारा लेने लगी है. इसकी शुरुआत 30 जनवरी से भिंड में होने जा रही है, यहां संत समागम शुरू होगा.

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भिंड में 30 जनवरी से संत समागम शुरू हो रहा

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Published : Jan 29, 2023, 5:11 PM IST

भिंड में 30 जनवरी से संत समागम शुरू हो रहा

भिंड।चंबल में चुनावी साल धार्मिक आयोजनों के नाम से नजर आ रहा है, जिसमें प्रशासन और सत्ता में बैठी बीजेपी की भागीदारी साफ दिखाई दे रही है. बीते कुछ महीनों में भिंड में एक के बाद एक बड़े धार्मिक आयोजन हुए जो खुद बीजेपी नेताओं ने आयोजित कराए. माना जा रहा है की पिछले विधानसभा चुनाव में चंबल में मिली हार के बाद अब आगामी चुनाव के लिए बीजेपी धर्म के सहारे अपनी नैय्या पार लगाना चाहती है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में जानिए, क्या अब चंबल गुंड़ो से नहीं महात्माओं के नामों से जाना जाएगा.

संतों के जरिए क्या बीजेपी चंबल में जीतेगी विस चुनाव:जब भी जुबान पर चंबल का नाम आता है तो जहन में खुद बा खुद बंदूकधारी डकैतों की तस्वीरें आ ही जाती है. ऐसा इसी वजह से क्योंकि, एक लंबे समय तक यही तस्वीर इस क्षेत्र की पहचान बनी रही है, लेकिन शायद अब चंबल को एक नई पहचान देने का प्रयास किया जा रहा है. बीते कुछ महीनों में इस क्षेत्र में धर्म और संतों के धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन तेजी से बढ़ गए हैं. इनमें ज्यादातर बड़े स्तर पर धार्मिक आयोजन खुद बीजेपी नेताओं द्वारा कराए जा रहे हैं. कयास तो ये भी लगाए जा रहे हैं कि शायद 2018 विधानसभा चुनाव में चंबल की जनता ने ही बीजेपी को आईना दिखाते हुए सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी. शायद इसी वजह से अबकी बार भारतीय जानता पार्टी धर्म और संतों के जरिए चुनाव जीतने का प्रयास कर रही है. इसका एक नजारा 30 जनवरी से भिंड जिले में देखने को भी मिलेगा. जिले में देश का एतिहासिक संत समागम होने जा रहा है. जिसमें कई संत विभूतियों के साथ सरकार के मंत्री और राजनीति से जुड़ी बड़ी बड़ी हस्तियां शिरकत करेंगी.

प्रदेश के सबसे बड़े संत समागम का साक्षी बनेगा भिंड:खनैता धाम में रघुनाथ मंदिर के पूर्व महंत साकेतवासी विजयराम महाराज की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में हर साल 30 जनवरी से 6 फरवरी तक धार्मिक आयोजन, यज्ञ और भागवत कथा भंडारे का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन इस साल उनकी 25वीं पुण्यतिथि है. इस अवसर पर खनैता धाम में विशाल संत समागम होने जा रहा है. इस संत समागम की खास बात ये है कि चारों कुंभ के बाद भिंड जिला प्रदेश में ऐसा पहला स्थान होगा जहां सनातन धर्म से जुड़ी देश भर की धर्म विभूतियां एक मंच पर नजर आएंगी. 30 फरवरी से भागवत कथा के शुभारंभ के साथ ही विशाल संत समागम में चारों पीठाधीश्वर शंकराचार्य, सभी रामानंदाचार्य, रामानुजाचार्य, सभी निंबार्काचार्य, द्वाराचार्य शामिल होंगे. इनमें जगन्नाथ पुरी, गोवर्धन मठ, जोशीमठ. भानुपुरा पीठ, प्रयागराज, सलेमाबाद, चित्रकूट, अयोध्या, दंदरौआ धाम सरकार, बागेश्वर धाम, कनकेश्वरी देवी के शंकराचार्य एक मंच पर एकत्रित होकर प्रवचन देंगे.

धार्मिक आयोजनों में बीजेपी की हर जगह सहभागिता:जिले में पूर्व में आयोजित हुए धार्मिक आयोजनों की तरह ही खनैता धाम के संत समागम में भी बीजेपी की भागीदारी नजर आने लगी है. सूत्रों की मानें तो इस आयोजन की व्यवस्थाओं में कार्यक्रम समिति और ग्रामवासियों के अलावा जिला प्रशासन और राजनीतिक लोगों की सहभागिता भी नजर आ रही है. जहां प्रशासन द्वारा पुलिस सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं. वहीं बीजेपी भी एक्टिव नजर आ रही है. इस आयोजन के लिए संत रविदास हथकरघा निगम के अध्यक्ष रणवीर जाटव हो या पूर्व मंत्री और बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य समेत कई स्थानीय बीजेपी नेता अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं. इस कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने जब ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा, तो पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनूप मिश्रा भी खनैता धाम पहुंचे थे. उन्होंने इस आयोजन के लिए अपने श्रद्धा अनुसार गुप्त दान भी किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया. इस दौरान ईटीवी भारत ने जब पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा से चुनावी साल में धार्मिक आयोजनों में बीजेपी की भागीदारी पर सवाल किया, तो उनका कहना था "सभी संतों का समागम जब खनैया धाम होगा तो उसके लिए प्रशासन की भारी व्यवस्था भी लगेगी. इस कार्यक्रम का आनंद तो बीजेपी लोग नहीं ले पाएंगे, हम तो सिर्फ व्यवस्थाओं को दृष्टि से आएंगे, देखेंगे और चले जाएंगे.

चंबल की पहचान डकैतों से नहीं संतों से है

पूर्व मंत्री बोले बीजेपी भगवान में आस्था रखती है:बीजेपी के सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री अनूप मिस्र से जब हमने सीधा सवाल किया कि, क्या बीजेपी 2018 जैसे नतीजों से बचने के लिए अब चुनावी साल में संतों के सहारे आगे बढ़ रही है? इसके जवाब में अनूप मिश्रा ने कहा कि, "ये सवाल ही गलत है ये भिंडी ऋषि की तपोभूमि रही है. मुरैना और भिंड में सबसे ज्यादा तपस्थल, आश्रम और संत मिलेंगे. ये कहना की यहां बीजेपी क्यों है तो.. बीजेपी हिंदू है, हिंदू तनमन, हिंदू जीवन, रग रग मेरा हिंदू परिचय.. और वो भगवान में आस्था रखते हैं. जो भगवान में आस्था रखता है वह ऐसे किसी कार्यक्रम में छोटी सी भी सहभागिता रखने में नहीं चूकता. जिसमें उसका मजमा लगता है और वही बीजेपी के लोग करते हैं, इसलिए इसे बीजेपी कार्यक्रम कहना गलत होगा ये कार्यक्रम खाता धाम और साकेतवासी महाराज विजयराम का कार्यक्रम है."

संत समागम में शामिल होने जगतगुरु रामरिक्षपालदास महाराज धार पहुंचे

पूरे साल चले बड़े धार्मिक कार्यक्रम: पिछले साल नवंबर 2022 में दंदरौआ धाम में प्रसिद्ध कथा वाचक और बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री की हनुमान कथा का अयोजन हुआ था, जिसमें प्रतिदिन 5 लाख तक श्रद्धालु पहुंचे थे. इस धार्मिक आयोजन के आयोजक बीजेपी नेता और धार के कारम डैम हादसे के लिए जिम्मेदार सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक अशोक भारद्वाज द्वारा कराया गया था. वहीं मई 2022 में जिले के अटेर क्षेत्र में कथा वाचक ममता किशोरी दीदी द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का वाचन किया गया था. इस कार्यक्रम का आयोजक बीजेपी नेता और मध्यप्रदेश खनिज विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष कोक सिंह नरवरिया थे. इस बीच चंबल के भिंड में ही गुदावली गांव में धीरेंद्र शास्त्री के गुरु रामभद्राचार्य महाराज की श्रीमद्भागवद कथा का आयोजन दिसंबर 2022 के शुरुआती हफ्ते में हुआ.

क्षेत्र की पहचान बदलने की कवायद:यह कहना गलत नहीं होगा कि जैसे जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है चंबल में लगातार धार्मिक आयोजन हो रहे हैं. इसमें बीजेपी की सहभागिता भी पूरी तरह से नजर आ रही है. इस तरह से बढ़ रहे आयोजनों का एक सकारात्मक पहलू भी नजर आ रहा है. जैसे जैसे क्षेत्र में धार्मिक आयोजन बड़े स्तर पर हो रहे हैं, वैसे वैसे क्षेत्रीय तौर पर पर्यटन और व्यापार के आयाम भी खुल रहे हैं. इस तरह के आयोजनों में व्यवस्थाएं बनाने से लेकर स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है. खनैता धाम में भी एंड वाले 6 फरवरी तक करीब 2.5 से 5 लाख श्रद्धालु प्रतिदिन आयेंगे.

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