भिंड। चार चरणों में लागू हुआ लॉकडाउन देश में कोरोना को रोकने के लिए काफी सफल साबित हुआ, भिंड जिले में भी लॉकडाउन के दो चरणों तक एक भी केस नहीं आया लेकिन तीसरे चरण की शुरुआत के पांचवे दिन ही पहले मरीज के साथ जिले में कोरोना ने दस्तक दी और धीरे-धीरे संख्या 50 के पार हो गई, हर रोज नए मरीज सामने आ रहे हैं लेकिन भिंड जिले में इन मरीजों का इलाज सीमित संसाधन और मेडिकल स्टाफ के भरोसे चल रहा है, जिस तरह मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है उस हिसाब से जिला अस्पताल और अन्य जगहों पर मरीजों के रखने की व्यवस्थाएं फेल होती जा रही हैं, कलेक्टर भी यह मानते हैं कि संसाधन खत्म हो रहे हैं ऐसे में आगे आने वाले मरीजों को संभालना बड़ी समस्या बन सकती है.
जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा सीमित संसाधनों में भी काम चलाया जा रहा है हर दिन पॉजिटिव मरीजों की संख्या में इजाफे के साथ ही मरीजों को रखना बड़ी समस्या बनता जा रहा है. मरीजों के इलाज के लिए सेपरेट आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था की है जो पर्याप्त साबित नहीं हो पा रही, जब जिले की आबादी 18 लाख से ज्यादा है और कोरोना के मरीज लगभग हर क्षेत्र में मिल रहे हैं तब आने वाले समय में मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होने पर संदेह नहीं किया जा सकता. भिंड कलेक्टर के मुताबिक वह पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सीमित संसाधनों के बावजूद व्यवस्थाएं बनाई जा सकें, इसके लिए भिंड जिला प्रशासन 20 बेड आइसोलेशन वार्ड के बाद अन्य ऐसी जगह चुन रहा है, जहां मरीजों को रखा जा सके. जहां सेपरेट रूम की व्यवस्था हो सके जैसे कि होटल छात्रावास और भवन जैसी जगहों को अधिकृत किया जा रहा है और इन्हें कोविड हॉस्पिटल्स में बदला जा रहा है कई सारी जगह उपयोग में भी लाई जा रही है
गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है, क्योंकि भिंड जिला अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा बहुत ही सीमित है. जानकारी के मुताबिक भिंड जिला अस्पताल में दो या तीन वेंटिलेटर ही मौजूद हैं, ऐसे में गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन देने के लिए जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सिलेंडर के उपयोग पर विचार बनाया जा रहा है हालांकि जिले में अब तक आए लगभग सभी केस सामान्य स्थिति में हैं, इसलिए वेंटिलेटर की जरूरत अब तक स्वास्थ्य विभाग को भिंड में नहीं पड़ी है लेकिन विषम परिस्थितियों को देखते हुए प्रशासन इसे प्लान बी के तौर पर लेकर चल रहा है.