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लोगों के लिए मिसाल बनी अंजना मैडम, गठिया रोग से पीड़ित होने के बावजूद जगा रहीं शिक्षा की अलख - Anjana Madam is giving guidance to children

भिंड में एक ऐसी शिक्षक हैं, जो पिछले 12 सालों से गठिया रोग से पीड़ित हैं. अंजना अपने पैरों पर खड़ी तक नहीं हो पाती हैं, लेकिन उन्होंने अपने बुलंद हौसलों के बल पर शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाया और अब बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रही हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनी अंजना मैडम

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Published : Sep 5, 2019, 10:22 AM IST

भिंड। चुनौतियों का मुकाबला डटकर करना किसे कहते हैं, इस बात की मिसाल पेश कर रही हैं भिंड की एक ऐसी शिक्षिका, जो पिछले 12 सालों से गठिया रोग से पीड़ित हैं. अंजना अपने पैरों पर खड़ी तक नहीं हो पाती हैं, लेकिन उन्होंने ये साबित कर दिया है कि इंसान अपने हाथ-पैरों से नहीं बल्कि अपनी मानसिकता से अपाहिज हो जाता है. लेकिन अगर हम चाहें तो अपने दृढ़ मनोबल से अपनी शारीरिक कमजोरी को भी अपनी ताकत बना सकते हैं.

भिंड की रहने वाली एक साधारण परिवार की महिला जिन्हें सब अंजना मैडम के नाम से जानते हैं, वे एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं. वे भिंड के अटेर ब्लॉक के चौकी गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ाती हैं. 12 साल पहले अचानक गठिया की बीमारी होने से अंजना शर्मा के हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिया था. वो आज भी अपने पैरों पर खड़ी भी नहीं हो पाती हैं, लेकिन अपने बुलंद हौसलों के चलते शिक्षा का रास्ता अपनाया और आज बतौर शिक्षक पदस्थ हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनी अंजना मैडम

शिक्षिका अंजना शर्मा बताती हैं कि उन्हें पहले से ही पढ़ाने का शौक था. उनका कहना है कि सरकारी स्कूल के बच्चे पढ़-लिखकर किसी लायक बन जाएं, कुछ सीखें, यही प्रयास है. उन्होंने कहा कि इस हालत में भी उनका मकसद है कि वे अपने लिए, इन बच्चों के लिए और समाज के लिए कुछ बेहतर कर सकें.

अंजना शर्मा के पति कहते हैं कि बीमारी से उनका जीवन काफी प्रभावित हुआ है, लेकिन वो रोजाना समय से स्कूल पहुंचती हैं और बच्चों को पढ़ाती हैं. वहीं चौकी शासकीय स्कूल के हेड मास्टर बृजेश कुमार त्रिपाठी का भी कहना है कि इतने कष्ट के बावजूद भी अंजना शर्मा पूरी लगन से बच्चों को पढ़ाती हैं. इतना ही नहीं मानसिक रूप से भी वो बहुत मजबूत हैं.

एक ओर जहां शासकीय स्कूलों में पदस्थ शिक्षक नियमित रूप से स्कूल जाएं, इसके लिए लंबे समय से जिला शिक्षा केंद्र में मॉनिटरिंग की जा रही है. वहीं दूसरी ओर अंजना शर्मा जैसे शिक्षक अपने आप में एक मिसाल हैं, जो इतनी शारीरिक परेशानी के बावजूद हर दिन स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ा रही हैं.

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