भिंड। चंबल-अंचल के लिए रविवार का दिन बहुत ही खास रहने वाला है. केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह का दौरा है. जिसको लेकर पूरे अंचल में जलसे जैसा माहौल है, लेकिन उससे पहले मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया भिंड प्रवास पर रहे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत के साथ हुए साक्षात्कार में कई अहम जानकारियां दी. डालिए एक नजर कि क्या कुछ कहा सहकारिता मंत्री ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान. (mp political news) (amit shah visit gwalior)
सवाल: रविवार का दिन बहुत अहम होने वाला है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ग्वालियर दौरे पर आ रहे हैं एक बड़ा भव्य कार्यक्रम है किस तरह का आयोजन है?
जवाब: अमित शाह केंद्रीय गृहमंत्री और देश के सहकारिता मंत्री भी हैं. उनके ग्वालियर दौरे पर एक भव्य कार्यक्रम होगा. ग्वालियर में एयरपोर्ट का उद्घाटन होने वाला है, यह एयरपोर्ट ग्वालियर चंबल संभाग के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा. इसलिए रविवार के कार्यक्रम के लिए हमारे सभी सरपंच सचिव से लेकर हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहेंगे. साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर सभी लोग कार्यक्रम में रहेंगे. इसलिए संख्यात्मक दृष्टि से व्यवस्थापक दृष्टि से अभी हम लोगों ने बैठक की है. जिले में भी अधिकारियों के साथ बैठक की थी. आज भी अभी पूरे विधानसभा के सभी सचिव और सरपंच के साथ अधिकारी गण थे, जिनके साथ बैठक कर चर्चा की गई है.
सवाल:केंद्रीय मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम में कितनी संख्या में लोग शामिल होंगे?
जवाब : करीब 2 लाख लोग इस कार्यक्रम में आएंगे. जिनमें 50 हजार लोग भिंड जिले से जाएंगे. साथ ही कोऑपरेटिव सोसायटी की ओर से भी 35000 लोगों को अलग से ले जाने की व्यवस्था की गई है.
सवाल:मध्यप्रदेश में पहली बार ऐसा हो रहा है या कहें कि देश में मेडिकल की पढ़ाई अब हिंदी में होने जा रही है, जिसकी शुरुआत मध्यप्रदेश ने की है?
जवाब: केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा द्वारा भोपाल में इसकी शुरुआत होगी. भारत में पहली बार मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होने वाली है, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया है और इसमें मध्यप्रदेश में सबसे पहला निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अमल में लाते हए प्रदेश में इसकी लॉन्चिंग होने वाली है, क्योंकि आज भी प्रदेश में कई ऐसे लोग हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं वे अंग्रेजी मीडियम में पढ़ कर नहीं आते हैं, इसलिए एक हीन भावना भी आती है. मातृभाषा में शिक्षा दी जाए इसका मतलब यह नहीं कि साउथ में भी हिंदी में ही शिक्षा दी जाए. ऐसा नहीं है वहां की भाषा में वहां शिक्षा दी जाए और यहां की भाषा में यहां शिक्षा दी जाए.