भिंड। भारतीय सेना में भर्ती प्रक्रिया के लिए शुरू की गयी 'अग्निपथ' योजना में अब देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ मध्य प्रदेस भी जलने लगा है. चम्बल से मालवा तक सेना भर्ती की तैयारी कर रहे आक्रोशित युवा हिंसक हो गए हैं. इंदौर, ग्वालियर में दंगों के साथ पब्लिक प्रॉपर्टी में तोड़फोड़ हो रही है. इस बीच चम्बल का वह जिला भिंड, जहां के सबसे ज्यादा नौजवान तैयारी कर सेना में जाते हैं. इन युवाओं से ETV भारत संवाददाता ने बातचीत की और इस योजना के पीछे हो रहे विरोधाभास के बारे में जाना.
अग्निपथ स्कीम के विरोध में भिंड के युवा: भिंड चम्बल का वह जिला है, जहां कभी बागी और डकैतों का आतंक था. लेकिन आज यहां के युवा देश की सेना और विभिन्न सुरक्षाबलों में अपनी सेवाएं देकर देश की सेवा कर रहे हैं. हजारों युवा सेना में भर्ती होने के लिए वर्षों से मेहनत कर रहे हैं, यही वजह है कि भिंड की भूमि को देशभक्तों की धरा कहा जाता है. ग्वालियर में गुरुवार को जिस तरह सरकार की अग्निपथ स्कीम के विरोध में हजारों युवकों ने सड़क पर हिंसा की. ट्रेन में तोड़फोड़ और पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया. उसके बाद भिंड में भी एहतियातन चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा है. भिंड में भी युवा अग्निपथ योजना से खुश नहीं हैं, लेकिन वे हिंसक भी नही हुए हैं. ऐसे युवा जो वर्षों से मेहनत करते हुए सेना की तैयारी कर रहे हैं, उन्होंने ETV भारत के सामने अपना पक्ष रखा और इस स्कीम के प्रति विरोध दर्ज कराया.
अग्निपथ में सिर्फ 4 साल की सर्विस का विरोध: युवाओं ने बातचीत के दौरान कहा कि, सरकार की अग्निपथ योजना के प्रति विरोध का बड़ा कारण इसकी गाइड लाइन है. इस स्कीम के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को महज चार वर्ष के लिए भर्ती किया जा रहा है. इसके बाद इनमे से 25 फीसदी छात्रों को आर्मी में फुल सर्विस पर रखा जाएगा और बकाया 75 प्रतिशत की घर वापसी हो जाएगी. युवा इस बात के लिए तैयार नहीं है. युवाओं का कहना है कि, सरकार ने आज तो रोजगार दे दिया. लेकिन चार साल बाद उन्हें रिटायर्ड कर दिया जाएगा, ऐसे में उनके आगे जीवन यापन और परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल होगा.