भिंड। साल 1976 में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा पर चंबल नदी पर इटावा और भिंड ज़िले की सीमा को जोड़ने वाले चम्बल पुल का निर्माण हुआ था. चार दशकों से ज़्यादा समय तक यह पुल दोनों राज्यों में आवागमन का सुगम रास्ता बना रहा, लेकिन बीते 3 वर्षों में इस पुल की हालत ख़स्ता हो गयी है. 2019 से लेकर 2022 तक यह ब्रिज 5 बार क्षतिग्रस्त हो चुका है. दो हफ़्ते पहले ही पुल पर बनी सड़क के दोनों स्लैब धसक गए हैं. ऐसे में 26 जून के बाद से इस पुल पर भारी वाहनों के आवागमन पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है.
हेवी ट्रैफ़िक के लिए रूट डायवर्ट :इटावा कलेक्टर अवनीश राय के अनुसार चम्बल पुल की हालत देखते हुए यहाँ सेतु निर्माण विभाग द्वारा इसका सर्वे किया या था. इसके बाद मरम्मत किए जाने की ज़रूरत के चलते पुल पर 27 जून से भारी वाहनों के आवागमन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है. हालाँकि इस दौरान उत्तर प्रदेश से और मध्य प्रदेश के बीच भिंड और इटावा से आवागमन करने वाले भारी वाहनों के लिए फूप चकरनगर होते हुए साहसों से इटावा की ओर परिवर्तित मार्ग बनाया गया था लेकिन चम्बल पुल बंद होने के बाद अचानक बढ़े ट्रैफ़िक की वजह से बरही चंबल पुल और फूफ स्थित चकरनगर मार्ग ओर बनी पुलिया टूटने से यह रास्ता बंद होने से इटावा जाने के लिए अब भारी वाहनों को ग्वालियर से मुरैना-आगरा होकर जाना होगा. भिंड की सीमा मालनपुर से इटावा जाने वाले वाहनों को बरेठा पुल से मुरैना होते हुए वैकल्पिक मार्ग पर डायवर्ट किया जा रहा है.
पुलिया टूटने की वजह से बढ़ी भिंड और इटावा की दूरी :ग्वालियर से इटावा, कानपुर जाने वाले वाहन मुरैना, धौलपुर आगरा होते हुए निकाले जाएंगे, जबकि भिंड आए वाहनों को रौन-मिहोना-गोपालपुरा से जालौन होते हुए इटावा-कानपुर के लिए निकाला जा रहा है. वैकल्पिक मार्ग से भिंड से इटावा पहुंचने के लिए 187 किमी और ग्वालियर से मुरैना-आगरा होते हुए 250 किमी का फेरा लगाना पड़ेगा, जबकि भिंड-इटावा के बीच की दूरी महज 36 किलोमीटर है.