बैतूल। जिले में 250 से ज्यादा आदिवासी परिवारों ने मांगें पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी हैं. मामला उत्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले सारणी वन परिक्षेत्र के खैरवानी गांव का है. जहां 6 गांवो के 250 आदिवासी परिवारों ने बीते पांच दिनों से वन विभाग की जमीन पर अपना डेरा डाल रखा है.
58 एकड़ जमीन को लेकर आदिवासी परिवार और वन-विभाग आमने-सामने आदिवासियों के मुताबिक जिस जंगल की जमीन पर वे आकर बैठे है वहां उनके पूर्वजों द्वारा खेती की जाती थी इसलिए वे यहां बस रहे हैं. वही विभाग के अधिकारी इस भूमि को रिजर्व फारेस्ट की भूमि बतलाकर आदिवासियों की समस्या को वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन पर समझाइश देकर हल करने की बात कह रहे हैं.
बताया जा रहा है कि वन विभाग ने जिस भूमि की मांग आदिवासियों के माध्यम से की जा रही है वह 23 हेक्टेयर है. जबकि इस भूमि को अगर एकड़ में परिवर्तित किया जाए तो यह लगभग 58 एकड़ भूमि होगी. 58 एकड़ भूमि के रकबे को वन विभाग किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं है.
वन विभाग जिस वन भूमि को रिजर्व वन भूमि बतला रहा है. उसी भूमि को आदिवासी वर्षो पहले अपने पूर्वजो द्वारा कृषि कार्य किये जाने वाली भूमि बतलाकर भूमि पर अपना हक जतलाकर उसके पट्टे की मांग कर रहे है. आदिवासियों की माने तो इस जमीन के लिए उनके पूर्वजों ने कोर्ट कचहरी तक लड़ाई लड़ी लेकिन धन के अभाव में आगे की लड़ाई नहीं लड़ सके. जिसका फायदा उठाकर वन विभाग ने ये जमीन अपने कब्जे में कर ली है.
वन विभाग के अधिकारियों कहना है कि जिस वन भूमि का ये मसला है वो रिजर्व फारेस्ट की भूमि है और इस भूमि पर आदिवासियों ने अतिक्रमण कर कोई कब्जा नहीं किया है. बारिश की वजह से उनका जो नुकसान हुआ है, उसका मुवावजा दिलवाने के लिए प्रयास किये जायेंगे. आदिवासियों की समस्या हल करने के लिए सभी वरिष्ठ अधिकारी उनसे बातचीत करने के लिए उनके पास जा रहे हैं. जल्द ही समस्या का हल करवा दिया जाएगा.