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सांसद आदर्श ग्राम में पुल नहीं होने से परेशान ग्रामीण, खतरे में जान

बैतूल जिले में पुल निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सांसद आदर्श ग्राम कान्हावाड़ी में पीपरी नदी पर पुल नहीं होने से ग्रामीण जान जोखिम में डाल नदी पार करते हैं.

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Published : Aug 27, 2020, 12:47 PM IST

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पुल नहीं होने से परेशान ग्रामीण

बैतूल। जनता के सेवक बड़े बड़े वादे कर बरगलाने का काम करते हैं. कई योजनाएं ऐसी शुरू की जाती हैं, जिससे लगता है कि बस अब विश्व में सबसे सशक्त बनने वाले हैं, लेकिन धरातर पर नजर दौड़ाई जाए तो हकीकत कुछ और ही सामने आती है. आज भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां लोग बुनायादी जरूरतों के आभाव में जी रहे हैं. केंद्र सरकार ने गांवों के विकास के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत देश के सभी सांसदों को एक साल के लिए एक गांव को गोद लेकर वहां विकास कार्य करना होता है. जिससे गांव में बुनियादी सुविधाओं के साथ ही खेती, पशुपालन, कुटीर उद्योग, रोजगार आदि पर जोर दिया जाता है, लेकिन घोड़ाडोंगरी तहसील के सांसद आदर्श ग्राम कान्हावाड़ी में पीपरी नदी पर पुल नहीं होने से ग्रामीण जान जोखिम में डाल नदी पार करते हैं. जो किसी बड़े हादसे को आमंत्रण देने जेसा है.

पुल नहीं होने से परेशान ग्रामीण

सांसद डीडी उइके ने लिया है गांव को गोद

कान्हावाड़ी गांव के ग्रामीण सालों से पीपरी नदी पर पुल बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है. जिसके चलते ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डाल कर नदी पार कर आना-जाना पड़ता है. बैतूल सांसद डीडी उइके ने कान्हावाड़ी ग्राम पंचायत को गोद लेकर इसे सांसद आदर्श ग्राम घोषित किया है. ग्रामीणों ने सांसद से भी नदी पर पुल निर्माण की मांग की, लेकिन मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है.

खाट पर मरीजों को कराते हैं नदी पार

पीपरी नदी पर पुल नहीं होने के कारण बारिश में कान्हावाड़ी के 3 ढाने टापू बन जाते हैं. ग्रामीण नन्दराम उइके ने बताया कि पीपरी नदी पर पुल नहीं होने से पहाड़ ढाना, इंदल ढाना और ईजीसी ढाना टापू बन जाते हैं. बारिश के मौसम में अगर कोई बीमार हो जाता है तो नाले में पानी कम होने का इंतजार करना पड़ता है. इसके बाद ही उसे अस्पताल पहुंचाया जा सकता है. बीते दिनों एक मरीज की हालत गंभीर होने पर उसे खटिया के माध्यम से नदी पार कर घोड़ाडोंगरी अस्पताल पहुचाया गया था. ग्रामीणों का कहना है कि मरीजों व गर्भवती महिलाओं को बारिश के दिनों में खाट पर लादकर नदी पार करवाना पड़ता है. पुल नहीं होने से 108 व 102 जैसी सुविधाएं भी गांव तक नहीं पहुंच पाती हैं.
स्कूल नहीं जा पाते छात्र

छात्र ने बताया कि पीपरी नदी पर पुल नहीं होने के चलते बारिश के मौसम में कई बार नदी में बाढ़ आ जाती है. जिसके चलते स्कूल नहीं जा पाते हैं. कभी पानी कम होता है तो डरते हुए जान जोखिम में डालकर नदी को पार करना पड़ता है. एक अन्य छात्र शिवराज का कहना है कि नदी पार करते समय बहने का डर लगता है. स्कूल जाने और किसी जरूरी काम के लिए घोड़ाडोंगरी जाने के लिए कमर से ऊपर तक पानी भरे होने पर भी नदी पार कर जाना पड़ता है.
कई बार कर चुके हैं प्रशासन से मांग

कान्हावाड़ी के पूर्व सरपंच नरेंद्र उइके ने बताया पीपरी नदी पर पुल निर्माण के लिए ग्रामीण सालों से मांग कर रहे हैं. घोडाडोंगरी तहसीलदार और कलेक्टर तक को पुल की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा जा चुका है. इसके बाद भी नदी पर पुल का निर्माण नहीं होने से ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं.

पुल निर्माण को लेकर भेजा जाएगा प्रस्ताव

घोडाडोंगरी जनपद पंचायत के सीईओ दानिश खान ने बताया कि कान्हावाडी पंचायत की पीपरी नदी पर पुल निर्माण के लिए सांसद को पूर्व में प्रस्ताव भेजा गया था. पुल नहीं होने से वर्षा काल में ग्रामीणों को परेशानी होती है. बजट अधिक होने से पंचायत पुल का निर्माण नहीं कर सकती. सांसद ने पुल निर्माण के लिए भोपाल प्रस्ताव प्रेषित किया जा रहा है.

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