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बारिश के लिए टोटका! इंद्रदेव का दम घोंट रहे आदिवासी, अर्धनग्न बच्चों से लगवा रहे मिट्टी का लेप - गधे की श्मशान में उल्टी परिक्रमा

बिन बारिश बंजर होती धरती और फसलों के साथ मुरझाते किसान चिंता के सागर में डूबते जा रहे हैं. मौसम की इस बेरुखी से हर कोई परेशान है, ऐसे में बारिश के लिए तरह तरह के जतन कर रहे हैं, यहां तक कि टोना-टोटका भी करने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं, ताकि इंद्रदेव खुश होकर उन पर अपनी कृपा बरसा दें.

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इंद्रदेव का दम घोंट रहे आदिवासी

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Published : Jul 9, 2021, 3:11 PM IST

बैतूल। एक तो महंगाई की मार, ऊपर से मौसम की बेरुखी किसानों को इतना बेबस कर रही है कि उसे समझ ही नहीं आ रहा कि वो करे तो क्या करे. ऐसे में लोग इंद्रदेव को मनाने के लिए तरह तरह के जतन कर रहे हैं, टोना-टोटका करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं, ताकि इंद्रदेव की कृपा उन पर बरसे और बंजर होती धरती हरियाली से ढक जाए. बारिश के लिए कहीं मेढक-मेढकी की शादी कराते हैं तो कहीं गधे की श्मशान में उल्टी परिक्रमा कराते हैं, ताकि इंद्रदेव खुश हो जाएं, बैतूल जिले में भी ग्रामीणों ने इंद्रदेव को मनाने के लिए कुछ ऐसा ही उपाय किया, फिर भी अभी तक इंद्रदेव की कृपा उन पर बरसी नहीं है.

खरीफ के सीजन में बोवनी के 20 दिन बीत जाने के बाद भी बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं, जिले के असाडी गांव के ग्रामीणों को लगता है कि इंद्रदेव नाराज हैं, इसलिए वे इंद्रदेव को ही सजा दे रहे हैं. उनका मानना है कि इस तरह सजा देने से इंद्रदेव मान जाएंगे और बारिश हो जाएगी. ग्रामीणों ने अर्धनग्न बच्चों से इंद्रदेव की मूर्ति को गीली मिट्टी लपेटकर ढकवा दिये. ग्रामीण मानते हैं कि जब बारिश होगी तभी मिट्टी धुलेगी. बारिश नहीं होने से जमीन में दरारें पड़ने लगी हैं, हर तरफ चिंता और बेचैनी का आलम है.

आदिवासी ग्रामीणों ने भगवान इंद्र की प्रतिमा को मिट्टी लपेट दी है, अर्धनग्न होकर बच्चों से कराये गए इस टोटके से आदिवासियो को उम्मीद है कि जब इंद्रदेव को सांस लेने में दिक्कत होगी, तब वो पानी बरसा देंगे. मरता क्या नहीं करता. यही कहावत आदिवासी गांव असाडी में चरितार्थ हो रहा है. अपने हाथो से मिटटी लगा रहे ये नाबालिग बच्चे कोई मकान नहीं बना रहे हैं, बल्कि भगवान इंद्रदेव को मिटटी में लपेट रहे हैं. बारिश नहीं होने से परेशान लोगों ने पुरखों का बताया ये तरीका अपनाया है.

टोटका बारिश का! गधे से श्मशान में चिता की लगवाई उल्टी परिक्रमा

ग्रामीण बताते हैं कि जब बारिश नहीं होती तो वे ऐसा ही करते हैं, जिसके बाद बारिश हो जाती है. असाी के माली सिंह उइके बताते हैं कि पानी नहीं गिरने से फसले सूख जायेगी तो उनके परिवार का पेट कैसे भरेगा और पानी के बिना कैसे रहेंगे. इसलिए इंद्रदेव को सजा के तौर पर वे पुरखो के बताए टोटके आजमा रहे हैं. मान्यता के अनुसार कुंआरे और नाबालिग बच्चे मिटटी लाते हैं और भगवान को लपेट देते हैं. इसके बाद कुछ ही दिनों में बारिश हो जाती है.

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बैतूल आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहां लोग कृषि पर आश्रित हैं. यही कारण है कि बारिश समय पर नहीं होने से फसले सूखने का डर सताने लगा है, जब बारिश नहीं होती है तो आदिवासियों के साथ आम लोग भी इस तरह का टोटका करने में साथ देते है. बैतूल के असाडी गांव में प्रसिद्ध बड़देव मंदिर में आदिवासियों ने भगवान को मिट्टी में लपेट दिया है. कमल शुक्ला का कहना है कि बड़देव नाम से प्रसिद्ध इस स्थान पर आसपास के कई जिलों के आदिवासी आते हैं और बारिश के लिए प्रार्थना करते हैं.

ग्रामीण जिस स्थान पर यह अनुष्ठान कर रहे हैं. वहां के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव भष्मासुर से बचने के लिए भागते समय इसी स्थान से गुजरे थे. जहां एक पत्थर पर अब भी भगवान शिव के पैर और भष्मासुर के घोड़े के पैरों के निशान मौजूद हैं. वैसे तो बारिश के लिए लोग प्रार्थना करते हैं, इस अनोखी मान्यता से लोगों को आश्चर्य भले ही हो रहा होगा, पर आदिवासियों को भरोसा है कि ऐसा करने से बारिश हो जाएगी. जाहिर है बारिश के लिए टोटके अपना रहे लोग अगर पर्यावरण को बिगड़ने से बचाते होते तो आज ये हालात नहीं बनते.

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