बैतूल। एक तो महंगाई की मार, ऊपर से मौसम की बेरुखी किसानों को इतना बेबस कर रही है कि उसे समझ ही नहीं आ रहा कि वो करे तो क्या करे. ऐसे में लोग इंद्रदेव को मनाने के लिए तरह तरह के जतन कर रहे हैं, टोना-टोटका करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं, ताकि इंद्रदेव की कृपा उन पर बरसे और बंजर होती धरती हरियाली से ढक जाए. बारिश के लिए कहीं मेढक-मेढकी की शादी कराते हैं तो कहीं गधे की श्मशान में उल्टी परिक्रमा कराते हैं, ताकि इंद्रदेव खुश हो जाएं, बैतूल जिले में भी ग्रामीणों ने इंद्रदेव को मनाने के लिए कुछ ऐसा ही उपाय किया, फिर भी अभी तक इंद्रदेव की कृपा उन पर बरसी नहीं है.
खरीफ के सीजन में बोवनी के 20 दिन बीत जाने के बाद भी बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं, जिले के असाडी गांव के ग्रामीणों को लगता है कि इंद्रदेव नाराज हैं, इसलिए वे इंद्रदेव को ही सजा दे रहे हैं. उनका मानना है कि इस तरह सजा देने से इंद्रदेव मान जाएंगे और बारिश हो जाएगी. ग्रामीणों ने अर्धनग्न बच्चों से इंद्रदेव की मूर्ति को गीली मिट्टी लपेटकर ढकवा दिये. ग्रामीण मानते हैं कि जब बारिश होगी तभी मिट्टी धुलेगी. बारिश नहीं होने से जमीन में दरारें पड़ने लगी हैं, हर तरफ चिंता और बेचैनी का आलम है.
आदिवासी ग्रामीणों ने भगवान इंद्र की प्रतिमा को मिट्टी लपेट दी है, अर्धनग्न होकर बच्चों से कराये गए इस टोटके से आदिवासियो को उम्मीद है कि जब इंद्रदेव को सांस लेने में दिक्कत होगी, तब वो पानी बरसा देंगे. मरता क्या नहीं करता. यही कहावत आदिवासी गांव असाडी में चरितार्थ हो रहा है. अपने हाथो से मिटटी लगा रहे ये नाबालिग बच्चे कोई मकान नहीं बना रहे हैं, बल्कि भगवान इंद्रदेव को मिटटी में लपेट रहे हैं. बारिश नहीं होने से परेशान लोगों ने पुरखों का बताया ये तरीका अपनाया है.
टोटका बारिश का! गधे से श्मशान में चिता की लगवाई उल्टी परिक्रमा