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ग्वाल समाज की अनूठी परंपरा, गोबर और गौमूत्र से बने पर्वत की करते हैं पूजा - betul news

दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है. ग्वाल समाज इस दिन अनूठी परंपरा के तहत पूजा के बाद छोटे बच्चों को गोबर से बने पर्वत पर लिटाया जाता है. इसके पीछे की वजह भी ग्वाल समाज के लोगों ने बताई है.

ग्वाल समाज की अनूठी परंपरा

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Published : Oct 28, 2019, 7:06 PM IST

बैतूल। ग्वाल समाज के लोग एक अनूठी परंपरा को सदियों से मनाते आ रहे हैं. गोवर्धन पूजा के दिन ये लोग गाय के ताजे गोबर और गौमूत्र से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा करते हैं. पूजा करने के बाद उस पर बच्चों को लिटाते हैं. ग्वाल समाज के लोगों का मानना है कि गोबर के स्पर्श से कई रोगों से निजात मिल जाता है.

ग्वाल समाज की अनूठी परंपरा


यह त्योहार दीपावली के दूसरे दिन जिलेभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. ग्वाल समाज के लोग भगवान श्री कृष्ण को अपना आराध्य देव मानते है. उनका मानना है कि द्वापर युग मे जब इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा तो इंद्रदेव नाराज हो गए. नाराज इंद्र देव गोकुल में मूसलाधार बरसात कर सब कुछ तबाह करने वाले थे कि तभी श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली से उठा कर गोकुल को तबाह होने से बचाया था.


तब से ही ग्वाले गोवर्धन की पूजा-अर्चना होती आ रही है. ग्वाल समाज के लोग कहते हैं की गौधन से उनका घर परिवार चलता है. गाय के दूध से शरीर ताकतवर बनता है तो वहीं गाय के गोबर और गौ मूत्र से शरीर निरोगी होता है. गाय के गोबर से घरों की लिपाई पुताई की जाती है. जिसके कारण मच्छर और अन्य कीड़े घर मे नहीं पहुचते हैं. .

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