बैतूल। इरीगेशन लोड कम होते ही प्रदेश में बिजली की मांग घटने लगी है. शुक्रवार को प्रदेश में 12 हजार मेगावाट के आसपास बिजली की मांग रही. इसका सबसे ज्यादा असर घोड़ाडोंगरी तहसील सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट सारनी पर पड़ा. यहां की दो इकाइयों को रिजर्व शटडाउन (आरएसडी) में बंद कर दिया गया है.
बताया जा रहा है कि 210 मेगावाट क्षमता की 7 नंबर इकाई और 200 मेगावाट की 6 नंबर इकाई को बंद किया. इन दोनों इकाइयों के बंद होते ही घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी का बिजली उत्पादन लुढ़कर 500 मेगावाट के आसपास आ पहुंचा. फिलहाल सतपुड़ा की 1150 मेगावाट क्षमता की 10 व इतनी ही क्षमता की 11 नंबर इकाई चल रही है. दोनों इकाइयों से क्षमतानुरूप विद्युत उत्पादन हो रहा है, जबकि यहां की 210-210 मेगावाट क्षमता की 8 व 9 नंबर इकाई फरवरी 2020 से कंपनी द्वारा बंद कर दी गई है.
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इतना ही नहीं इन दोनों इकाइयों के कोयला श्री सिंगाजी पॉवर प्लांट खंडवा डायवर्ट कर दिया गया है, जबकि इन दोनों इकाइयों को सिंगाजी की यूनिट बंद रहने की स्थिति में चलाया जा सकता था. गौरतलब है कि जब सो दोनों इकाइयों के करोड़ों रुपए की लागत से संधारण किया है. तब से दोनों इकाइयों से बमुश्किल ही उत्पादन लिया गया. इन दोनों इकाइयों को बंद रखकर उस इकाई को चलाना जिसका संधारण हुआ ही नहीं संदेह को जन्म देता है. कंपनी की इकाइयों को बंद रखकर निजी प्लांटों से महंगे दामों पर बिजली खरीदी का मुद्दा हाल ही में विधानसभा में गूंजा था. बावजूद इसके इस मामले को अभी भी हल्के में लिया जा रहा है, जबकि सही जांच हो तो मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिरने से इनकार नहीं किया जा सकता.