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बारिश के लिए इंद्रदेव की भी सांस रोक देते हैं आदिवासी, बिन बरखा नहीं मिलती मुक्ति

मध्यप्रदेश अपनी अनोखी प्रथाओं और परंपराओं के लिए जाना जाता है. ऐसी ही एक परंपरा का पालन करते हैं बैतूल के आदिवासी. जिससे जल्द बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है.

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Published : Jul 22, 2019, 2:00 PM IST

बैतूल। मानसून की पहली बारिश के बाद ही न जाने बदरा क्यों रूठ गये हैं, बारिश नहीं होने से गर्मी जैसे हालात बन गये हैं, चारो तरफ पानी के लिए हाहाकार मचने लगी है. बिना पानी सबका हाल बेहाल है, फसलें सूखने की कगार पर पहुंच गयी हैं, जिससे किसानों की चिंता भी बढ़ने लगी है. जिसके चलते अब ग्रामीण इंद्रदेव को मनाने में जुट गये हैं, ताकि आसमान से खुशियों की बारिश हो सके.

इंद्र को मिट्टी में लपेटा
आदिवासी बारिश नहीं होने पर तरह तरह से इंद्रदेव को मनाते हैं, कहीं मेढक-मेढकी की शादी कराते हैं तो कहीं इंद्रदेव को कीचड़ में लपेट देते हैं. आदिवासियों में परंपरा है कि जब इंद्रदेव की मूर्ति को मिट्टी में लपेट देते हैं तो उनको सांस लेने में दिक्कत होगी, तब जाकर वे खुद बारिश करेंगे और इससे उन पर चढ़ाई गई मिट्टी भी धुल जाएगी. खास बात ये है कि इंद्रदेव पर मिट्टी का लेप बच्चे ही करते हैं.

जिले के चिचौली ब्लॉक के असाड़ी गांव में भी आदिवासियों ने इस परंपरा का निर्वाहन किया. ग्रामीणों का कहना है कि बारिश नहीं होने से फसल सूखने लगी है, इसलिए वे इंद्रदेव पर मिट्टी का लेप करते हैं, ताकि जल्द से जल्द बारिश हो जाये.

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