बैतूल। मानसून की पहली बारिश के बाद ही न जाने बदरा क्यों रूठ गये हैं, बारिश नहीं होने से गर्मी जैसे हालात बन गये हैं, चारो तरफ पानी के लिए हाहाकार मचने लगी है. बिना पानी सबका हाल बेहाल है, फसलें सूखने की कगार पर पहुंच गयी हैं, जिससे किसानों की चिंता भी बढ़ने लगी है. जिसके चलते अब ग्रामीण इंद्रदेव को मनाने में जुट गये हैं, ताकि आसमान से खुशियों की बारिश हो सके.
बारिश के लिए इंद्रदेव की भी सांस रोक देते हैं आदिवासी, बिन बरखा नहीं मिलती मुक्ति - tribal ritual
मध्यप्रदेश अपनी अनोखी प्रथाओं और परंपराओं के लिए जाना जाता है. ऐसी ही एक परंपरा का पालन करते हैं बैतूल के आदिवासी. जिससे जल्द बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है.
unique ritual
जिले के चिचौली ब्लॉक के असाड़ी गांव में भी आदिवासियों ने इस परंपरा का निर्वाहन किया. ग्रामीणों का कहना है कि बारिश नहीं होने से फसल सूखने लगी है, इसलिए वे इंद्रदेव पर मिट्टी का लेप करते हैं, ताकि जल्द से जल्द बारिश हो जाये.