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अतिवृष्टि और पीला मोजेक के कारण खराब हुई सोयाबीन की फसल, खेत से बाहर फेंक रहे किसान - सोयाबीन की फसल

बैतूल में अतिवृष्टि और पीला मोजेक के कारण पीली हुई फसल से किसानों की इस साल की मेहनत बेकार हो गई, क्योंकि उनकी सोयाबीन की फसल चौपट हो गई. ऐसे में अब किसान फसल काटकर खेत से बाहर फेंकने में जुट गए हैं.

Soybean destroyed
खराब हुई सोयाबीन की फसल

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Published : Sep 9, 2020, 5:14 PM IST

बैतूल। जिले में प्राकृतिक आपदा ने किसानों को बर्बाद कर दिया है. अतिवृष्टि और फंगस के कारण खरीफ फसलें बर्बाद हो गई हैं. अब किसान खराब फसल को कहीं हाथ से काटकर कर खेत खाली कर रहे हैं तो कहीं किसान ट्रेक्टर में रोटावेटर लगा कर खराब फसल पर चलवा रहे हैं. अतिवृष्टि और रोग की चपेट में आई सोयाबीन फसल की पैदावार से अब किसानों को कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही हैं. ऐसे में अब किसान फसल काटकर खेत से बाहर फेंकने में जुट गए हैं.

खराब हुई सोयाबीन की फसल

सरकार ने नहीं की कोई घोषणा

अब तक सरकार की ओर से खरीफ मौसम की खराब हुई फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए कोई घोषणा नहीं की गई है. ऐसे में अब किसान पुरानी फसल को फेंक दूसरी फसल की बुवाई की तैयारी करने लगे हैं. बैतूल के सोहागपुर के किसानों ने खेत में लगी सोयाबीन की फसल को रोटावेटर की मदद से खेत में ही टुकड़ों में तब्दील कर दिया है. इधर प्रशासन ने अब तक सर्वे भी नहीं कराया है, जिससे यह पता लग सके कि कितने रकबे में फसलें खराब हुई हैं.


कृषि वैज्ञानिक दे रहे महंगी दवाई की सलाह

कृषि विभाग के अधिकारी और कृषि वैज्ञानिकों ने खेतों में निरीक्षण कर किसानों को खराब हो चुकी फसलों को बचाने के लिए मंहगी दवाओं का छिड़काव करने की सलाह दे रहे हैं, जिसके चलते किसान आर्थिक रूप से और कमजोर होते नजर आ रहे हैं. जिले के कुल 4 लाख 56 हजार हेक्टेयर रकबे में से करीब 2 लाख हेक्टेयर रकबे में सोयाबीन की फसल बोई है. 15 अगस्त तक रिमझिम बारिश और खुला मौसम होने के कारण मक्का, सोयाबीन समेत खरीफ की कई फसलें भी लहलहा रहीं थीं और भरपूर पैदावार की उम्मीद किसानों को थी, लेकिन महीने के अंत में एक सप्ताह तक हुई लगातार तेज बारिश ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचा दिया.

उम्मीद हो रही कम
सोयाबीन के पौधों की पत्तियां पीला मोजेक के कारण पीली हो गई. वहीं बारिश के कारण जड़ सड़न से पौधे मुरझा गए थे और फूल नष्ट होने से फल्लियां ही नहीं लगी थीं. कुछ क्षेत्रो में फल्लियों में दाना ही नहीं आ पाया है या फिर 10 प्रतिशत ही फल्लियां भर पाई हैं. जैसे-जैसे फसलों के पकने का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे उससे पैदावार मिलने की उम्मीद कम होती जा रही है. यही कारण है कि किसान सोयाबीन की फसल को खेत से बाहर फेंकने लगे हैं.

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किसान बंटी वर्मा ने बताया कि सोयाबीन की बुवाई करीब 6 एकड़ रकबे में की थी. बारिश और रोग के कारण फल्लियां कम लगीं और उनमें दाना भी नाममात्र का ही आया है. ऐसे में फसल की कटाई का खर्च में पैदावार से नहीं निकल पाएगा, इसे देखते हुए ट्रैक्टर में रोटावेटर लगाकर सोयाबीन को नष्ट कर जमीन में मिला दिया गया.

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