गुरूजी ने खींची कामयाबी की नई लकीर, अंधेरे में रहकर भी दूसरों की दुनिया कर रहे रोशन - आंखों में रोशनी नहीं है
गुरू का पद भगवान से भी ऊंचा है क्योंकि गुरू ही भगवान तक पहुंचने का रास्ता दिखाता है, हर इंसान के जीवन में गुरू का बड़ा महत्व होता है, गुरू के बताये मार्ग पर चलकर ही कामयाबी की मंजिल तक पहुंचा जा सकता है. इस शिक्षक दिवस पर ऐसे शिक्षकों का जिक्र कर रहे हैं, जिन्होंने अपने हौसलों से कामयाबी की नई लकीर खींची है.
गुरूजी ने खींची कामयाबी की नई लकीर
बैतूल। दस साल की उम्र में अथाह अंधेरे में गुम होने के बावजूद वह हिम्मत नहीं हारा, परिस्थितियों से लड़ता रहा और अपने हौसलों को हमेशा नई उड़ान देने की तरकीब खोजता रहता. उसके इसी हौसले ने उसे अलग पहचान दी और आज वह खुद अंधेरे में रहकर भी सैकड़ों की दुनिया रोशन कर रहा है. इस शिक्षक दिवस पर ऐसे ही एक शिक्षक का जिक्र कर रहे हैं, जिनकी खुद की दुनिया अंधेरे में डूबी है, फिर भी वह चिराग बनकर लोगों की दुनिया रोशन कर रहे हैं.